Skip to main content

गोलघर: 235 साल का हो गया पटना की पहचान यह ऐतिहासिक धरोहर

दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक पटना का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। पटना हजारों साल तक कई महान सम्राटों की राजधानी रहा है। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर कई ऐतिहासिक स्मारकों, धरोहरों और विरासत स्थलों का स्थल रहा है। पटना में गांधी मैदान के पश्चिम में एक ऐतिहासिक धरोहर है- गोलघर। गोलघर को पटना की पहचान कह सकते हैं। बचपन में गांधी सेतु बनने से पहले स्टीमर से गंगा पार कर और बनने के बाद पुल से आते-जाते वक्त गोलघर देखकर पटना पहुंच जाने के रोमांच से भर उठता था। गोलघर गांधी मैदान के पश्चिम में बना है। इस साल 20 जुलाई, 2021 को गोलघर 235 साल का हो गया।


गोलघर से पटना का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है। बचपन में जब गोलघर पर चढ़ता था, तो पूरा पटना काफी सुंदर दिखता था। गंगा नदी को देखकर तो मन प्रफुल्लित हो जाता था। लगता था कि गंगा नदी को देखता ही रहं, लेकिन बाद में कई बहुमंजिली इमारते बन जाने के कारण अब गोलघर से पूरा पटना नहीं दिख पाता है। उस वक्त जब गोलघर जाता था तो चढ़ते वक्त मस्ती के साथ ऊपर चला जाता था, लेकिन नीचे आते वक्त डर लगता था। सीढ़ी घिस जाने के कारण फिसल कर गिर जाने का डर लगा रहता था। काफी संभल कर धीरे-धीरे उतरता था।


गोलघर को राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। पटना आने वाले तकरीबन सभी पर्यटक गोलघर देखने जरूर जाते हैं। अब तो पर्यटकों की सुविधा के लिए सरकार की ओर से काफी इंतजाम किए गए हैं। संगीतमय फव्वारे भी यहां लगाए गए हैं। बच्चों के लिए नीचे पार्क भी बनाए गए हैं। आप भी गोलघर से पटना शहर और गंगा नदी का शानदार और दिलचस्प नजारा देख सकते हैं।


गोलघर के निर्माण की योजना अंग्रेज गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने बिहार में साल 1770 में आए भीषण अकाल के बाद अनाज को रखने के लिए बनाई थी। ब्रिटिश इंजीनियर कप्तान जॉन गार्स्टिन ने 20 जनवरी, 1784 को इसे बनाना शुरू किया, जो 20 जुलाई, 1786 को बन कर पूरा हो गया। इसमें कोई पिलर नहीं है। अपने आप में इस अनोखे गोलघर में 1 लाख 40 हजार टन अनाज रखने की क्षमता है। 125 मीटर चौड़े और 29 मीटर ऊंचे गोलघर की दीवारें नींव पर 3.6 मीटर मोटी हैं। इसके शीर्ष पर 2 फीट 7 इंच व्यास का एक छिद्र अनाज डालने के लिए बनाया गया था, लेकिन बताया जाता है कि इसे कभी पूरा भरा नहीं गया। बाद में इस सुराख को बंद कर दिया गया।


बताया जाता है कि अनाज भंडारण के लिए बनाए गए गोलघर के निर्माण में कुछ खामियों के चलते इसका इस्तेमाल नहीं हो पाया। एक तरह से अनाज गोदाम गोलघर में अनाज रखने ले लिए बोरे को 145 सीढ़ियों से ऊपर ले जाकर 25 मीटर ऊंचे शीर्ष पर बने छिद्र से भीतर डालना होता था, जो काफी कठिन काम था। इसके साथ ही इसमें अनाज निकासी के लिए सिर्फ एक छोटा सा दरवाजा था जो अंदर की ओर खुलता था और अनाज भर जाने पर अंदर की ओर खोलना काफी मुश्किल काम होता था। ऐसे में गोलघर गोदाम की जगह एक पर्यटक स्थल बन गया। आप 10 रुपये का टिकट लेकर गोलघर परिसर में जा सकते हैं।

सभी फोटो- बिहार टूरिज्म

कैसे पहुंचे-

पटना देश के सभी प्रमुख शहरे से रेल, सड़क और वायुमार्ग से जुड़ा हुआ है। सभी प्रमुख शहरे से यहां हवाई सेवाएं हैं। रेल और सड़क से देश के किसी भी हिस्से से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

कब जाएं-
पटना में गर्मी में काफी गर्मी और सर्दी में काफी सर्दी पड़ती है। इसलिए यहां सितंबर से नवंबर और फरवरी से मार्च के बीच जाना काफी अच्छा रहता है।

ब्लॉग पर आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप इस पोस्ट पर अपना विचार, सुझाव या Comment शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। 

-हितेन्द्र गुप्ता

Comments

  1. Wow! Interesting to know that Golghar is pillar less.
    Beautiful architecture! Enjoyed reading this post.

    ReplyDelete
  2. Interesting post! Lots to learn from your blog.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Rajnagar, Madhubani: खंडहर में तब्दील होता राजनगर का राज कैंपस

राजनगर का ऐतिहासिक राज कैंपस खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। बिहार के मधुबनी जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह राज कैंपस राज्य सरकार की अनदेखी के कारण उपेक्षित पड़ा हुआ है। यह कैंपस इंक्रीडेबल इंडिया का एक बेहतरीन उदाहरण है। यहां के महल और मंदिर स्थापत्य कला के अद्भूत मिसाल पेश करते हैं। दीवारों पर की गई नक्काशी, कलाकारी और कलाकृति देखकर आप दंग रह जाएंगे।

अहिल्या स्थान: जहां प्रभु राम के किया था देवी अहिल्या का उद्धार

मिथिला में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है अहिल्या स्थान। हालांकि सरकारी उदासीनता के कारण यह वर्षों से उपेक्षित रहा है। यहां देवी अहिल्या को समर्पित एक मंदिर है। रामायण में गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या का जिक्र है। देवी अहिल्या गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थीं। जिनका भगवान राम ने उद्धार किया था। देश में शायद यह एकमात्र मंदिर है जहां महिला पुजारी पूजा-अर्चना कराती हैं।

उत्तर प्रदेश के वे टॉप 10 पर्यटन स्थल, जहां गए बिना आपकी यात्रा नहीं होगी पूरी

उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां सालों भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। उत्तर प्रदेश काफी खूबसूरत राज्य है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। भगवान राम की नगरी अयोध्या, भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन से लेकर भगवान बुद्ध से संबंधित सारनाथ और कुशीनगर जैसे धार्मिक स्थलों पर हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। महादेव की नगरी काशी, कुंभनगरी प्रयागराज से लेकर प्रेम प्रतीक की नगरी आगरा जैसे पर्यटक स्थल घुमक्कड़ों के लिए पसंदीदा डेस्टिनेशन बने हुए हैं। नजाकत, नफासत और तहजीब के शहर लखनऊ गए बिना तो जैसे आपकी यात्रा पूरी ही नहीं होगी। सभी फोटो- यूपी टूरिज्म नए साल में लोग फिर से घर से बाहर निकला शुरू कर दिए हैं। वे नई-नई जगहों पर जा रहे हैं तो ऐसे में आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश के उन टॉप 10 पर्यटन स्थलों के बारे में जहां आप देश के किसी भी कोने से आसानी से पहुंच सकते हैं। 1. वाराणसी बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी को बनारस या काशी के नाम से भी जानते हैं। काशी दुनिया की सबसे प्राचीन जीवंत नगरी के रूप में विख्यात है। पवित्र गंगा नदी के किनारे बसे का

World Peace Pagoda, Vaishali: विश्व को शांति का संदेश देता वैशाली का विश्व शांति स्तूप

वैशाली का विश्व शांति स्तूप आज भी विश्व को शांति का संदेश दे रहा है। लोकतंत्र की जननी वैशाली ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है। यहां जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली बासोकुंड यानी कुंडलपुर है। अशोक का लाट यानी अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और सबसे प्रमुख जापान की ओर बनवाया गया विश्व शांति स्तूप है।

Birla Temple Delhi: बिरला मंदिर, दिल्ली- जहां जाति-धर्म के नाम पर नहीं होता किसी से कोई भेदभाव

दिल वालों की दिल्ली में एक ऐसा मंदिर है जहां जाति-धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर को देश-दुनिया के लोग बिरला मंदिर के नाम से जानते हैं।

जल मंदिर पावापुरी: भगवान महावीर का निर्वाण स्थल, जहां उन्होंने दिया था पहला और अंतिम उपदेश

जल मंदिर पावापुरी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। भगवान महावीर को इसी स्थल पर मोक्ष यानी निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म के लोगों के लिए यह एक पवित्र शहर है। बिहार के नालंदा जिले में राजगीर के पास पावापुरी में यह जल मंदिर है। यह वही जगह है जहां भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला और आखिरी उपदेश दिया था। भगवान महावीर ने इसी जगह से विश्व को अहिंसा के साथ जिओ और जीने दो का संदेश दिया था।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: जहां प्रतिदिन शयन करने आते हैं भोलेनाथ महादेव

हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है और ओंकारेश्वर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में चौथा है। मध्यप्रदेश में 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर- ममलेश्वर महादेव के रूप में। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग इंदौर से 77 किलोमीटर पर है। मान्यता है कि सूर्योदय से पहले नर्मदा नदी में स्नान कर ऊं के आकार में बने इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां भगवान शिव के दर्शन से सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

ये हैं दिल्ली के टॉप 10 पर्यटक स्थल, नए साल में आप भी घूम आइए

दिल्ली देश की राजधानी है। यहां हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटक आते हैं। दिल्ली में इंडिया गेट, लाल किला, कुतुब मीनार सहित कई पर्यटक स्थल हैं। यहां सालों भर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। अब जब कोरोना संकट के बाद लोग एक बार फिर से बाहर घूमने-फिरने के लिए निकलने लगे हैं तो दिल्ली में एक बार

Contact Us

Work With Me FAM Trips, Blogger Meets या किसी भी तरह के collaboration के लिए guptahitendra [at] gmail.com पर संपर्क करें। Contact me at:- Email – guptagitendra [@] gmail.com Twitter – @GuptaHitendra Instagram – @GuptaHitendra Facebook Page – Hitendra Gupta

संसद भवन- आप भी जा सकते हैं यहां घूमने

देश के लोकतंत्र का मंदिर है देश का संसद भवन। यह दुनियाभर में सबसे आकर्षक संसद भवन है। इस भवन में देश की संसदीय कार्यवाही होती है। देश भर के लोकसभा के लिए चुने गए प्रतिनिधि यहीं पर चर्चा करते हैं और कानून बनाने का काम करते हैं। संसद सत्र के समय लोकसभा और राज्यसभा दोनों सनद के सदस्य कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं।