मिथिला में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है अहिल्या स्थान। हालांकि सरकारी उदासीनता के कारण यह वर्षों से उपेक्षित रहा है। यहां देवी अहिल्या को समर्पित एक मंदिर है। रामायण में गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या का जिक्र है। देवी अहिल्या गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थीं। जिनका भगवान राम ने उद्धार किया था। देश में शायद यह एकमात्र मंदिर है जहां महिला पुजारी पूजा-अर्चना कराती हैं।
प्रचलित कथा के अनुसार गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या भी काफी विदुषी और गुणवान होने के साथ काफी रूपवान भी थीं। देवताओं के राजा इंद्र देवी अहिल्या की खूबसूरती पर मोहित हो गए। एक दिन तड़के जब गौतम ऋषि नित्यक्रम और स्नान के लिए नदी की ओर निकले तो इंद्र गौतम ऋषि का वेष धारण कर कुटिया में प्रवेश कर गए और प्रणय निवेदन करने लगे। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में प्रणय निवेदन से उन्हें शक हुआ और जब उन्हें पता चल गया तो इंद्र को दुत्कार पर भगा दिया। लेकिन इंद्र के कुटिया से निकलने के क्रम में ही वहां गौतम ऋषि पहुंच गए। क्रोधित ऋषि ने इंद्र को श्राप देने के साथ अहिल्या पर भी लांक्षण लगाए। गौतम ऋषि के श्राप के कारण अहिल्या पत्थर बन गई। क्रोधित गौतम ऋषि तप करने हिमालय निकल गए। वर्षों बाद प्रभु श्रीराम ने अपने भाई लक्षण और गुरु विश्वामित्र के साथ मिथिला की राजधानी जनकपुर जाने के क्रम में उनका उद्धार किया।
जनकपुर जाने के क्रम में जब श्रीराम आश्रम के पास आए तो वीरान अवस्था में देखकर उन्होंने गुरु विश्वामित्र से पूछा कि ये किनका आश्रम है जो इतना सुनसान है। फिर गुरु विश्वामित्र ने उन्हें प्रकरण बताते हुए देवी अहिल्या का उद्धार करने को कहा। श्रीराम के चरण स्पर्श से देवी अहिल्या का फिर से अपने रूप में वापसी हो गई। तभी से यह स्थान अहिल्या स्थान के नाम से प्रसिद्ध हो गया। अब यह स्थल रामायण सर्किट से भी जुड़ गया है।
अहिल्या स्थान अब दरभंगा जिले का एक प्रमुख पर्यटक और तीर्थ स्थल है। यहां रामनवमी और विवाह पंचमी के दिन काफी भीड़ रहती है। रामनवमी के दिन यहां वे लोग भ आते हैं जिनके शरीर पर अहिला (एक तरह का मस्सा) होता है। कहा जाता है कि रामनवमी के दिन यहां स्थित कुंड या तालाब में स्नान कर कंधे पर बैंगन का भार ले जाकर मंदिर में चढ़ाने से अहिला रोग से मुक्ति मिलती है।
बताया जाता है कि दरभंगा महाराज छत्र सिंह ने सन 1635 में यहां स्थित भव्य मंदिर बनवाया था। इस मंदिर में प्रभु श्रीराम, माता सीता, उनके अनुज लक्ष्मण के साथ हनुमान की मूर्तियां हैं। मंदिर में देवी अहिल्या और गौतम ऋषि की भी मूर्तियां हैं। कहा जाता है कि संत रामानुज से यहां एक स्तंभ और पिंड का निर्माण करवाया था। मंदिर के पास ही खिरोई नदी के तट पर गौतम ऋषि का आश्रम है। इसके आसपास कई अन्य ऋषि-मुनियों का आश्रम है।
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नजदीकी दर्शनीय स्थल
अहिल्या स्थान से आप दरभंगा, कुशेश्वरस्थान, सीतामढ़ी, पुनौराधाम, मधुबनी और जनकपुर नेपाल भी जा सकते हैं।
कैसे पहुंचे-
दरभंगा देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल, बस और वायु सेवा से जुड़ा हुआ है। दरभंगा से दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु पुणे, हैदराबाद और अहमदाबाद के लिए नियमित उड़ान है। दरभंगा से आप ट्रेन से कमतौल फिर वहां से रिक्शा-ऑटो से अहिल्या स्थान जा सकते हैं। यह जगह दरभंगा से सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
कब पहुंचे-
अहिल्या स्थान की यात्रा गर्मी और बरसात में करने से बचिएगा। अन्य दिनों मे यहां आने में कोई दिक्कत नहीं है।
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-हितेन्द्र गुप्ता
Bahut achha jankari
ReplyDeleteUchesht bhagvati ashthan joriye
Aise asthal hamare Bihar me h
ReplyDeleteYe hm Bihar Wasi k liye garv ki baat h