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Showing posts from June, 2021

मन को असीम शांति प्रदान करता है नालंदा, राजगीर स्थित विश्व शांति स्तूप

बिहार में नालंदा जिले के राजगीर में है विश्व शांति स्तूप। राजगीर में वैसे तो कई पर्यटक और तीर्थ स्थल है, लेकिन यहां का प्रमुख आकर्षण है यह विश्व शांति स्तूप। यह स्तूप 400 मीटर ऊंची रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित है। संगमरमर के पत्थरों से बने इस विश्व शांति स्तूप में भगवान बुद्ध की चार स्वर्ण प्रतिमाएं है। ये चार स्वर्ण प्रतिमाएं जीवन के चार चरणों जन्म, ज्ञान, उपदेश और मृत्यु को दर्शाती है।

World Peace Pagoda, Vaishali: विश्व को शांति का संदेश देता वैशाली का विश्व शांति स्तूप

वैशाली का विश्व शांति स्तूप आज भी विश्व को शांति का संदेश दे रहा है। लोकतंत्र की जननी वैशाली ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है। यहां जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली बासोकुंड यानी कुंडलपुर है। अशोक का लाट यानी अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और सबसे प्रमुख जापान की ओर बनवाया गया विश्व शांति स्तूप है।

बिहार के वैशाली में है दुनिया की सबसे पुरानी संसद: राजा विशाल का गढ़

आज जो हम हर बात में प्रजातंत्र और लोकतंत्र की बात करते हैं उसे सबसे पहले दुनिया को बिहार ने दिया था। बिहार के वैशाली को दुनिया में पहला गणराज्य माना जाता है।  वैशाली का लिच्छवी गणराज्य विश्व का प्रथम गणतंत्र माना जाता है। यह आठ छोटे-छोटे राज्यों का संघ था और यहां सारे बड़े फैसले सामूहिक रूप से लिए जाते थे।  ईसा पूर्व 6-7 सौ साल पहले वैशाली लिच्छवी गणराज्य की राजधानी थी।

अशोक स्तंभ वैशाली: जानिए जैन धर्म का यह जन्मस्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए क्यों है खास

वैशाली यानी दुनिया का पहला गणराज्य। वैशाली यानी जिसने विश्व को लोकतंत्र दिया। महाभारत युग के राजा विशाल के नाम पर बना यह वैशाली भगवान महावीर की जन्मभूमि भी है। यानी जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर का जन्म बासोकुंड, वैशाली में ही हुआ था। लेकिन यह सिर्फ जैन धर्म के लिए ही पवित्र स्थल नहीं है, बल्कि वैशाली एक प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल भी है। यहां हर साल चीन, जापान, श्रीलंका, इंडोनेशिया, नेपाल, कनाडा के साथ दुनिया भर से लाखों पर्यटक आते हैं।

माता मुंडेश्वरी मंदिर: दुनिया का सबसे प्राचीन मंदिर, जहां बलि के बाद भी जिंदा रहते हैं बकरे

भारत में पूजा-अर्चना के लिए एक से बढ़कर एक मंदिर हैं। लेकिन मान्यता है कि देश में माता का सबसे प्राचीन मंदिर बिहार के कैमूर जिले में है। माता का यह मंदिर है- मुंडेश्वरी मंदिर। यह मंदिर शिव और शक्ति को समर्पित है। यह मंदिर देश-दुनिया में अपनी महिमा और मान्यता के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के पूर्व में माता मुंडेश्वरी की एक दिव्य और भव्य प्रतिमा है। माता की पत्थर की मूर्ति वाराही रूप में है। माता के इस रूप का वाहन महिष है।

केसरिया में है दुनिया का सबसे बड़ा स्‍तूप, भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण से पहले किया था रात्रि विश्राम

सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लिए बिहार सबसे पवित्र स्थल है। बिहार में बौद्ध धर्म के कई पवित्र स्थलों में से एक है केसरिया का बौद्ध स्तूप। बताया जाता है कि भगवान बुद्ध ने 483 ईसा पूर्व में कुशीनगर में महापरिनिर्वाण लेने से पहले एक रात केसरिया में बिताई थी। बताया जाता है कि वैशाली से कुशीनगर जाते वक्त केसरिया में विश्राम के दौरान उन्होंने अपना भिक्षा पात्र लिच्छविओं को सौंप दिया था।

कुशीनगर: यहां भगवान बुद्ध ने प्राप्त किया था महापरिनिर्वाण

उत्तर प्रदेश में कुशीनगर बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह भगवान बुद्ध के चार पवित्र स्थानों में से एक है। बताया जाता है कि भगवान बुद्ध ने 483 ईसा पूर्व में कुशीनगर में ही आखिरी सांस ली थी यानी महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया था। यहां रामाभार स्तूप में उनका अंतिम संस्कार किया गया था।

देवघर बाबाधाम में लगता है दुनिया का सबसे लंबा धार्मिक मेला

इस बार 25 जुलाई रविवार से सावन का पावन महीना शुरू हो रहा है, जो 22 अगस्त रविवार तक रहेगा। सावन का नाम आते ही दिमाग में बाबा भोलेनाथ के कांवड यात्रा की बात घूमने लगती है। हर साल सावन के महीने में लोग कांवड़ लेकर बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने बाबाधाम जाते हैं। करीब एक महीने के दौरान (इस बार सिर्फ 29 दिन) हर दिन लाखों लोग भोले बाबा को गंगा जल अर्पण करते हैं। वैसे तो यहां सालों भर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन सावन के महीने का विशेष महत्व है।

नालंदा विश्वविद्यालय: दुनिया के इस सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय में बख्तियार खिलजी ने लगा दी थी आग

शिक्षा के क्षेत्र में अभी बिहार की स्थिति भले ही दयनीय हो, लेकिन एक समय बिहार के बल पर भारत विश्व गुरु कहलाता था। विक्रमशिला के साथ ही नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन काल में शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था। नालंदा विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है। यह विश्व का प्रथम पूरी तरह से आवासीय विश्वविद्यालय था। यहां भारत ही नहीं दुनिया भर से छात्र अध्ययन करने के लिए आते थे।

जल मंदिर पावापुरी: भगवान महावीर का निर्वाण स्थल, जहां उन्होंने दिया था पहला और अंतिम उपदेश

जल मंदिर पावापुरी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। भगवान महावीर को इसी स्थल पर मोक्ष यानी निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म के लोगों के लिए यह एक पवित्र शहर है। बिहार के नालंदा जिले में राजगीर के पास पावापुरी में यह जल मंदिर है। यह वही जगह है जहां भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला और आखिरी उपदेश दिया था। भगवान महावीर ने इसी जगह से विश्व को अहिंसा के साथ जिओ और जीने दो का संदेश दिया था।

विक्रमशिला विश्वविद्यालय: दुनिया के इस प्रतिष्ठित शिक्षा के केंद्र को मुस्लिम आक्रंता बख्तियार खिलजी ने कर दिया था नष्ट

प्राचीन काल में बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय दुनिया के दो प्रतिष्ठित शिक्षा के केंद्र थे। नालंदा विश्वविद्यालय की तरह ही विक्रमशिला विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दुनिया भर से विद्यार्थी आते रहते थे। इसका निर्माण 8 वीं शताब्दी में पाल वंश के शासक धर्मपाल ने करवाया था। धर्मपाल के बाद इसके नष्ट होने से पहले तक तेरहवीं शताब्दी तक उनके उत्तराधिकारियों ने इसका संरक्षण किया। बताया जाता है कि 1202-1203 ईस्वी में मुस्लिम आक्रंता बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट कर दिया।

लोगों के लिए खुला स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, यहां पहुंचते हैं सबसे ज्यादा पर्यटक

गुजरात के केवड़िया स्थित दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। कोरोना संकट काल में महामारी और कम पर्यटक आने के लिए इसे बंद कर दिया गया था। अब कोरोना की स्थिति में सुधार होने के बाद इसे फिर से खोल दिया गया है। पहले दिन यहां 300 पर्यटक पहुंचे। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए कोरोना गाइडलाइन्स का पालन करना जरूरी होगा। लोगों को मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।

गोल्डन चैरियट ट्रेन: आप भी ले सकते हैं शाही यात्रा का आनंद

गोल्डन चैरियट यानी स्वर्ण रथ... यह ट्रेन नाम के अनुरूप ही आपको एक सुनहरे सपनों की दुनिया में ले जाता है। यह आपको राजसी अंदाज में दक्षिण भारत के गौरवशाली इतिहास के दौर में ले जाता है। यह दक्षिण भारत की वास्तुकला, संस्कृति और इतिहास से रूबरू कराता है। भारतीय रेलवे का यह ट्रेन गोल्डन चैरियट न सिर्फ आपको दक्षिण भारत के खूबसूरत ऐतिहासिक और विरासत स्थलों की यात्रा पर ले जाता है, बल्कि खुद पर गर्व करने का मौका भी देता है।

बुद्ध स्मृति पार्क: पटना का सबसे लोकप्रिय उद्यान, जहां रोज आते हैं हजारों पर्यटक

बुद्ध स्मृति पार्क काफी जल्दी ही पटना का सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल बन गया है। पटना के लोगों के साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों के लिए भी यह एक आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। पटना जंक्शन के पास होने के कारण पटना आने वाले तकरीबन सभी लोग यहां जरूर आते हैं। पटना का यह पार्क अब दुनियाभर के बौद्ध पर्यटकों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है।

श्री हरिमंदिर जी साहिब: सिख धर्म का दूसरा प्रमुख तख्त है पटना साहिब

बिहार की राजधानी पटना में स्थित है सिख धर्म का दूसरा सबसे प्रमुख तख्त श्री हरिमंदिर जी साहिब। यह सिखों के दसवें और आखिरी गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्मस्थान है। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसम्बर 1666 को पटना में सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी और माता गुजरी के घर हुआ था। उनके बचपन का नाम गोबिन्द राय था। जिस घर में उनका जन्म हुआ था, आज वहीं तख्त श्री हरिमंदिर जी साहिब है।

अहिल्या स्थान: जहां प्रभु राम के किया था देवी अहिल्या का उद्धार

मिथिला में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है अहिल्या स्थान। हालांकि सरकारी उदासीनता के कारण यह वर्षों से उपेक्षित रहा है। यहां देवी अहिल्या को समर्पित एक मंदिर है। रामायण में गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या का जिक्र है। देवी अहिल्या गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थीं। जिनका भगवान राम ने उद्धार किया था। देश में शायद यह एकमात्र मंदिर है जहां महिला पुजारी पूजा-अर्चना कराती हैं।

बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति

बोधगया- जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जिस स्थान पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई वहां एक विशाल खूबसूरत प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को महाबोधि मंदिर या महाबोधि विहार कहा जाता है। बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं के लिए यह सबसे पवित्र स्थल है। यह भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित चार पवित्र स्थलों में से एक है। महाबोधि मंदिर परिसर में प्रार्थना, धार्मिक अनुष्ठान और ध्यान लगाने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं।

गया विष्णुपद मंदिर: जानिए क्या है खास मान्यता और इसका पितरों से क्या है संबंध

करीब 30 साल पहले जब गया गया था, तो इस शहर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। उस समय घूम-फिर कर घर आ गया। गया से ज्यादा समय यहां के करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बोधगया घूमने में गुजरा था। तीन दिन यहां रहने के दौरान जब गया के बारे में और जानकारी मिली, तब पता चला कि क्यों हिंदू धर्म में इस शहर की इतनी मान्यता है।