Skip to main content

माता मुंडेश्वरी मंदिर: दुनिया का सबसे प्राचीन मंदिर, जहां बलि के बाद भी जिंदा रहते हैं बकरे

भारत में पूजा-अर्चना के लिए एक से बढ़कर एक मंदिर हैं। लेकिन मान्यता है कि देश में माता का सबसे प्राचीन मंदिर बिहार के कैमूर जिले में है। माता का यह मंदिर है- मुंडेश्वरी मंदिर। यह मंदिर शिव और शक्ति को समर्पित है। यह मंदिर देश-दुनिया में अपनी महिमा और मान्यता के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के पूर्व में माता मुंडेश्वरी की एक दिव्य और भव्य प्रतिमा है। माता की पत्थर की मूर्ति वाराही रूप में है। माता के इस रूप का वाहन महिष है।

मुंडेश्वरी मंदिर के बीच में देवों के देव महादेव का पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है। कुदरत का करिश्मा या प्रकृति का चमत्कार कहिए कि जिस पत्थर से यह पंचमुखी शिवलिंग निर्मित है, वह सूर्योदय से सूर्यास्त तक की सूर्य की स्थिति के साथ रंग भी बदलता रहता है। बताया जाता है कि इसका रंग सुबह, दोपहर और शाम को अलग हो जाता है। अचरज की बात है कि आपके देखते-देखते शिवलिंग का रंग कब बदल जाएगा, आपतो पता भी नहीं चलेगा।

देवी मां का यह मुंडेश्‍वरी मंदिर पत्थर से बना एक अष्टकोणीय मंदिर है। वैसे तो मंदिर में प्रवेश के चार द्वार हैं, लेकिन एक को बंद कर दिया गया है। यह मंदिर कैमूर जिले के रामगढ़ में पंवरा पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर करीब 600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के पूर्व में माता मुंडेश्‍वरी, मध्य में पंचमुखी शिवलिंग और पश्चिम में पूर्व की ओर मुख किए हुए विशाल नंदी की मूर्ति है।
मंदिर की वास्तुकला और बनावट अद्भत है। यहां पत्थरों पर काफी सुंदर नक्काशी और कलाकारी की गई है। बताया जाता है कि माता का यह मंदिर 635-636 ईस्वी से पहले बनाया गया था। लेकिनशिलालेख के अनुसार उदय सेन नामक क्षत्रप के शासन काल में 389 ईस्वी के बीच इसका निर्माण हुआ था। जो भी हो देश के इस सबसे प्राचीन मंदिर को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी रहती है।

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि देवी माता यहां चंड और मुंड नामक असुर का संहार करने के लिए आई थी। चंड के संहार के बाद मुंड युद्ध के क्रम में यहां के घने जंगलों के बीच इसी पहाड़ी में छिप गया। लेकिन वह ज्यादा देर तक छिपा नहीं रह सका और माता ने मंड का भी संहार कर लोगों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। तभी से यह माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध है।
माता मुंडेश्वरी देवी का मंदिर एक शक्तिस्थल है। देश के अन्य देवी मां के मंदिरों की तरह ही यहां भी बलि देने की प्रथा है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बलि के दौरान बकरे को चढ़ाया तो जाता है, मगर उसका वध नहीं किया जाता। इस अनोखे मंदिर में बलि की प्रथा कुछ अलग है। यहां बलि के लिए लाए गए बकरे को माता की मूर्ति के सामने लाकर पूजा की जाती है। पुजारी बकरे पर पुष्प अक्षत डालकर संकल्प करा लेते और बकरे को मुक्त कर देते हैं। बलि की यह सात्विक परंपरा देश में शायद ही और कहीं हो।

इस मंदिर के पास शिवरात्रि और रामनवमी के अवसर पर काफी भीड़ रहती है। यहां प्रतिदिन काफी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। धीरे-धीरे यह स्थल देश-दुनिया के पर्यटकों के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है। अगर सरकार की ओर से और सुविधा दी जाए और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जाए तो इस प्राचीन मंदिर में आने वाले पर्यटकों की संख्या और बढ़ सकती है।


कैसे पहुंचे

माता मुंडेश्वरी देवी का मंदिर रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मंदिर भभुआ रोड रेलवे स्टेशन से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर है। आप यहां से बस, ऑटो या टेंपो से आसानी से पहुंच सकते हैं। राजधानी पटना से भी यहां रोज राज्य पर्यटन निगम की बसें रामगढ़ गांव तक जाती हैं। हवाई यात्रा के लिए पटना से नजदीक वाराणसी पड़ता है, जो करीब 100 किलोमीटर दूर है। आपको पहले वाराणसी एयरपोर्ट आकर यहां बस या ट्रेन से आना होगा।

कब पहुंचे

वैसे बिहार में सर्दी और गर्मी दोनों काफी ज्यादा पड़ती है। इसलिए यहां फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच आना सही रहता है।

सभी फोटो बिहार टूरिज्म
ब्लॉग पर आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप इस पोस्ट पर अपना विचार, सुझाव या Comment शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। 

-हितेन्द्र गुप्ता

Comments

  1. माता मुंडेश्वरी देवी के मंदिर के विषय में जानना रोचक रहा। आभार।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद

      Delete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Rajnagar, Madhubani: खंडहर में तब्दील होता राजनगर का राज कैंपस

राजनगर का ऐतिहासिक राज कैंपस खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। बिहार के मधुबनी जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह राज कैंपस राज्य सरकार की अनदेखी के कारण उपेक्षित पड़ा हुआ है। यह कैंपस इंक्रीडेबल इंडिया का एक बेहतरीन उदाहरण है। यहां के महल और मंदिर स्थापत्य कला के अद्भूत मिसाल पेश करते हैं। दीवारों पर की गई नक्काशी, कलाकारी और कलाकृति देखकर आप दंग रह जाएंगे।

अहिल्या स्थान: जहां प्रभु राम के किया था देवी अहिल्या का उद्धार

मिथिला में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है अहिल्या स्थान। हालांकि सरकारी उदासीनता के कारण यह वर्षों से उपेक्षित रहा है। यहां देवी अहिल्या को समर्पित एक मंदिर है। रामायण में गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या का जिक्र है। देवी अहिल्या गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थीं। जिनका भगवान राम ने उद्धार किया था। देश में शायद यह एकमात्र मंदिर है जहां महिला पुजारी पूजा-अर्चना कराती हैं।

World Peace Pagoda, Vaishali: विश्व को शांति का संदेश देता वैशाली का विश्व शांति स्तूप

वैशाली का विश्व शांति स्तूप आज भी विश्व को शांति का संदेश दे रहा है। लोकतंत्र की जननी वैशाली ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है। यहां जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली बासोकुंड यानी कुंडलपुर है। अशोक का लाट यानी अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और सबसे प्रमुख जापान की ओर बनवाया गया विश्व शांति स्तूप है।

उत्तर प्रदेश के वे टॉप 10 पर्यटन स्थल, जहां गए बिना आपकी यात्रा नहीं होगी पूरी

उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां सालों भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। उत्तर प्रदेश काफी खूबसूरत राज्य है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। भगवान राम की नगरी अयोध्या, भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन से लेकर भगवान बुद्ध से संबंधित सारनाथ और कुशीनगर जैसे धार्मिक स्थलों पर हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। महादेव की नगरी काशी, कुंभनगरी प्रयागराज से लेकर प्रेम प्रतीक की नगरी आगरा जैसे पर्यटक स्थल घुमक्कड़ों के लिए पसंदीदा डेस्टिनेशन बने हुए हैं। नजाकत, नफासत और तहजीब के शहर लखनऊ गए बिना तो जैसे आपकी यात्रा पूरी ही नहीं होगी। सभी फोटो- यूपी टूरिज्म नए साल में लोग फिर से घर से बाहर निकला शुरू कर दिए हैं। वे नई-नई जगहों पर जा रहे हैं तो ऐसे में आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश के उन टॉप 10 पर्यटन स्थलों के बारे में जहां आप देश के किसी भी कोने से आसानी से पहुंच सकते हैं। 1. वाराणसी बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी को बनारस या काशी के नाम से भी जानते हैं। काशी दुनिया की सबसे प्राचीन जीवंत नगरी के रूप में विख्यात है। पवित्र गंगा नदी के किनारे बसे का

Birla Temple Delhi: बिरला मंदिर, दिल्ली- जहां जाति-धर्म के नाम पर नहीं होता किसी से कोई भेदभाव

दिल वालों की दिल्ली में एक ऐसा मंदिर है जहां जाति-धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर को देश-दुनिया के लोग बिरला मंदिर के नाम से जानते हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: जहां प्रतिदिन शयन करने आते हैं भोलेनाथ महादेव

हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है और ओंकारेश्वर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में चौथा है। मध्यप्रदेश में 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर- ममलेश्वर महादेव के रूप में। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग इंदौर से 77 किलोमीटर पर है। मान्यता है कि सूर्योदय से पहले नर्मदा नदी में स्नान कर ऊं के आकार में बने इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां भगवान शिव के दर्शन से सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

जल मंदिर पावापुरी: भगवान महावीर का निर्वाण स्थल, जहां उन्होंने दिया था पहला और अंतिम उपदेश

जल मंदिर पावापुरी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। भगवान महावीर को इसी स्थल पर मोक्ष यानी निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म के लोगों के लिए यह एक पवित्र शहर है। बिहार के नालंदा जिले में राजगीर के पास पावापुरी में यह जल मंदिर है। यह वही जगह है जहां भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला और आखिरी उपदेश दिया था। भगवान महावीर ने इसी जगह से विश्व को अहिंसा के साथ जिओ और जीने दो का संदेश दिया था।

संसद भवन- आप भी जा सकते हैं यहां घूमने

देश के लोकतंत्र का मंदिर है देश का संसद भवन। यह दुनियाभर में सबसे आकर्षक संसद भवन है। इस भवन में देश की संसदीय कार्यवाही होती है। देश भर के लोकसभा के लिए चुने गए प्रतिनिधि यहीं पर चर्चा करते हैं और कानून बनाने का काम करते हैं। संसद सत्र के समय लोकसभा और राज्यसभा दोनों सनद के सदस्य कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं।

Contact Us

Work With Me FAM Trips, Blogger Meets या किसी भी तरह के collaboration के लिए guptahitendra [at] gmail.com पर संपर्क करें। Contact me at:- Email – guptagitendra [@] gmail.com Twitter – @GuptaHitendra Instagram – @GuptaHitendra Facebook Page – Hitendra Gupta

Hanuman Temple Delhi: दिल्ली के इस मंदिर में तुलसीदास जी ने की थी हनुमान चालीसा की रचना

दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस के पास बाबा खड़क सिंह मार्ग पर स्थित है प्राचीन हनुमान मंदिर। मंगलवार और शनिवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी रहती है। हनुमान जयंती को भी यहां भारी भीड़ जुटती है। इस हनुमान मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह महाभारत काल का मंदिर है और हस्तिनापुर से अलग इंद्रप्रस्थ बसाने के क्रम में ही पांडवों ने इस मंदिर को बनाया था।