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जल मंदिर पावापुरी: भगवान महावीर का निर्वाण स्थल, जहां उन्होंने दिया था पहला और अंतिम उपदेश

जल मंदिर पावापुरी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। भगवान महावीर को इसी स्थल पर मोक्ष यानी निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म के लोगों के लिए यह एक पवित्र शहर है। बिहार के नालंदा जिले में राजगीर के पास पावापुरी में यह जल मंदिर है। यह वही जगह है जहां भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला और आखिरी उपदेश दिया था। भगवान महावीर ने इसी जगह से विश्व को अहिंसा के साथ जिओ और जीने दो का संदेश दिया था।

आज जहां जल मंदिर है, वहां भगवान महावीर का अंतिम संस्कार किया गया था। बताया जाता है कि भगवान महावीर के अंतिम संस्कार में लाखों लोग शामिल हुए थे। अंतिस संस्कार के बाद लोग वहां से उनके शरीर का पवित्र भस्म उठाकर अपने साथ ले जाने लगे। लेकिन लोगों का संख्या इतनी ज्यादा थी कि वे राख खत्म होने पर अपने साथ ले जाने के लिए वहां से मिट्ठी उठाने लगे। इस दौरान इतनी मात्रा में मिट्टी उठ गई कि वहां से जल निकल आया और एक सरोवर बन गया। देखते-देखते यह स्थल 84 बीघे के सरोवर में बदल गया।
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व बिहार में वैशाली के कुण्डलपुर में हुआ था। तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राजकाज त्याग संन्यास धारण कर लिया था। 72 वर्ष की आयु में दीपावली के दिन पावापुरी में उनका महापरिनिर्वाण हुआ। इसलिए जैन धर्म के अनुयायी भी दिवाली काफी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं। लोगों का कहना है कि भगवान महावीर के निर्वाण के बाद उनका अंतिम संस्कार देवताओं ने किया था।
बताया जाता है कि पावापुरी में आने मात्र से लोगों के सारे पाप मिट जाते हैं। हालांकि आज यहां जैन धर्म के मानने वाले नहीं के बराबर लोग हैं, लेकिन भगवान महावीर के प्रति श्रद्धा में कोई कमी नहीं है। दुनिया भर से पर्यटक और श्रद्धालु यहां आस्था के साथ शीश झुकाने आते हैं। यहां हृदय से की गई मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।  
जल मंदिर का भव्य सरोवर कमल के फूलों से भरा पड़ा है। इस पवित्र कमल सरोवर के बीच में एक भव्य मंदिर है। यह जल मन्दिर काफी प्रसिद्ध और दर्शनीय है। इस शानदार और खूबसूरत मंदिर के पूजा स्थल में भगवान महावीर की एक प्राचीन चरण पादुका है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्धन ने करवाया था। संगमरमर से बने इस दिव्य मंदिर का बीच-बीच में जीर्णोद्धार होता रहा है।
लाल कमल के फूल से भरे जल मंदिर के तालाब या सरोवर के पास आकर ही आप असीम शांति का अनुभव करेंगे। सब कुछ भूलकर आप अपने-आप में दिव्यता का एहसास करेंगे। किनारे से सरोवर के मध्य बने जलमंदिर तक जाने के लिए करीब 180 मीटर का एक पुल बना हुआ है। उत्तर दिशा की ओर पुल के शुरू में बने लाल बलुआ पत्थर से बने भव्य मेहराबी प्रवेश द्वार को पार कर जैसे ही आगे बढ़ेंगे, आप भगवान महावीर के विचारों में खो जाएंगे।
इस जलमंदिर की वास्तुकला, कलाकृति अतुलनीय है। इसकी शोभा देखते ही बनती है। चांदनी रात के समय इसका दिव्य रूप देख आप इसकी सुंदरता में खो जाएंगे। लाल-लाल कमल के फूलों के बीच सफेद जल मंदिर चांद की रोशनी में चमकता रहता है। धर्म में आस्था नहीं रखने वाले लोग भी इस मंदिर का आकर्षण और दिव्यता को देखने के लिए यहां आते हैं। आप भी अगर यहां नहीं गए हैं तो एक बार तो यहां जाना जरूर बनता है।

कैसे पहुंचे

पावापुरी बिहार के राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है। आप यहां रेल या बस-टैक्सी से आ सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन पावापुरी है। लेकिन यह काफी छोटा स्टेशन है। काफी अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आने के बाद भी यहां काफी कम सुविधा उपलब्ध है। बड़ा स्टेशन राजगीर यहां से करीब 38 किलोमीटर पर है। पावापुरी में रहने के लिए कई धर्मशालाएं हैं।
कब पहुंचे

बिहार में काफी सर्दी और गर्मी पड़ती है। यहां आने के लिए सबसे अच्छा समय फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच का होता है।

ब्लॉग पर आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप इस पोस्ट पर अपना विचार, सुझाव या Comment शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। 

-हितेन्द्र गुप्ता

Comments

  1. This mandir looks amazing! Thank you for bringing unique places to us. Hope to go there one day.

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