हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है और ओंकारेश्वर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में चौथा है। मध्यप्रदेश में 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर- ममलेश्वर महादेव के रूप में। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग इंदौर से 77 किलोमीटर पर है। मान्यता है कि सूर्योदय से पहले नर्मदा नदी में स्नान कर ऊं के आकार में बने इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां भगवान शिव के दर्शन से सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
पवित्र नर्मदा नदी के उत्तरी तट पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि देवों के देव महादेव प्रतिदिन तीनों लोक का भ्रमण करने के बाद यहां विश्राम करने आते हैं। यहां हर रोज रात साढ़े आठ बजे भगवान शिव की विशेष शयन आरती होती है। आरती के बाद शयन दर्शन भी होते हैं। दुनिया भर से हिंदू श्रद्धालु यहां भगवान भोलेनाथ का शयन दर्शन करने आते हैं। यहां शिव लिंग के पास ही माता पार्वती की मूर्ति हैं। यहां प्रतिदिन रात शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने चौसर-पांसे की बिसात सजाई जाती है। मान्यता है कि भगवान माता पार्वती के साथ चौसर खेलते हैं।
बताया जाता है कि इक्ष्वाकु वंश के राजा मान्धाता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए और तभी से यहां ओंकारेश्वर में रूप में विराजमान हैं। मान्धाता द्वीप पर बने इस मंदिर में दर्शन के लिए पवित्र नर्मदा नदी पर बने पुल को पार करके या फिर नाव से नदी पार कर घाट पर पहुंचना होता है। घाट पर स्नान कर श्रद्धालु सीढ़ी चढ़कर दर्शन करने जाते हैं। मंदिर पांच मंजिला है। इसके प्रथम तल पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं। द्वितीय तल पर महाकालेश्वर, तृतीय तल पर सिद्धनाथ, चतुर्थ तल पर गुप्तेश्वर लिंग और पंचम तल पर राजेश्वर महादेव मंदिर है।
बताया जाता है कि हिंदू धर्म के सभी तीर्थ स्थलों का दर्शन करने के बाद ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करते हैं। यहां सभी तीर्थ स्थल से लाए गए जल को चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है। ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने के बाद भक्त ओंकारेश्वर की परिक्रमा करते हैं। ओंकारेश्वर में उत्तर से दक्षिण तक कई मंदिर हैं और पूरा परिक्रमा मार्ग मंदिरों से भरा हुआ है। परिक्रमा का समापन नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर विराजमान अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से करते हैं। चूंकि ओंकारेश्वर चारों ओर से नर्मदा नदी से घिरा हुआ है, इसलिए आप अगर पैदल चलने में समर्थ ना हो तो नौका परिक्रमा भी कर सकते हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर में प्रतिदिन तीन पूजा होती हैं। तीनों पूजा अलग-अलग पुजारी करते हैं। सुबह ट्रस्ट के पुजारी, दोपहर में सिंधिया घराने के पुजारी और शाम में पूजा होलकर स्टेट के पुजारी करते हैं। इसके साथ ही हर सोमवार को एक पालकी पर भगवान ओंकारेश्वर की तीन मुखों वाली स्वर्णरचित मूर्ति रख कर जुलूस निकाला जाता है। इस नगर भ्रमण के दौरान आम लोगों को भगवान का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। यह बहुत ही अद्भुत हमेशा याद रखने वाला दृश्य होता है।
कैसे पहुंचे
ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में है और यहां रेल, सड़क या वायुमार्ग से पहुंचा जा सकता है। यह सड़क मार्ग से इंदौर, खंडवा और उज्जैन से जुड़ा हुआ है। पास का रेलवे स्टेशन मोरटक्का करीब 12 किलोमीटर दूर है और सबसे करीबी हवाई अड्डा इंदौर का है। इंदौर ओंकारेश्वर से करीब 75 किलोमीटर दूर है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग आने का सबसे बढ़िया समय बरसात के बाद से होता है। आप यहां होली के मौसम तक आसानी से आ सकते हैं। होली के बाद गर्मी बढ़ जाने पर यहां आपको परेशानी झेलनी पर सकती है। मई-जून के महीने में यहां काफी गर्मी होती है।
ओंकारेश्वर मंदिर ट्र्स्ट का पता है-
श्री ओंकारेश्वर मंदिर ट्र्स्ट
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
ओंकारेश्वर, जिला-खंडवा
मध्य प्रदेश- 450554
फोन:- 07280-271228
बुकिंग हेल्पलाइन :- 8989998686
ईमेल:-Shriomkareshwar@gmail.com
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-हितेन्द्र गुप्ता
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