वैशाली का विश्व शांति स्तूप आज भी विश्व को शांति का संदेश दे रहा है। लोकतंत्र की जननी वैशाली ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है। यहां जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली बासोकुंड यानी कुंडलपुर है। अशोक का लाट यानी अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और सबसे प्रमुख जापान की ओर बनवाया गया विश्व शांति स्तूप है।
दुनिया को शांति का संदेश देने के लिए वैशाली में इस पीस पैगोडा यानी शांति स्तूप की स्थापना की गई। विश्व शांति का प्रतीक काफी सुंदर और भव्य है। इस विश्व शांति स्तूप की ऊंचाई 125 फीट और इसके गुंबद का व्यास 65 फीट है। वैशाली स्थित विश्व शांति स्तूप का निर्माण जापानी बौद्ध संस्था निपोप्जंन मयोहोजी ने करवाया था। इस स्तूप में भगवान बुद्ध के अवशेष, सोने के गहने और कांच के सामान रखे गए हैं।
विश्व शांति स्तूप के चारों ओर बुद्ध की चार आकर्षक मूर्तियां बनाई गई हैं। सोने के रंग की बनी यह मूर्तियां काफी आकर्षक और मनमोहक हैं। यह स्थान प्राकृतिक रूप से काफी सुंदर और खूबसूरत है। विशाल और सफेद विश्व शांति स्तूप एक तालाब से घिरा हुआ है। देखने में यह राजगीर स्थित शांति स्तूप की तरह ही है। यहां रोज हजारों की संख्या में बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायी के साथ आम पर्यटक भी आते हैं।
देश-दुनिया के पर्यटकों के लिए अब भी यह स्थल अनछुआ- अनजान सा बना हुआ है, जबकि भगवान महावीर की जन्मस्थली होने के कारण यह जैन धर्म के लोगों के लिए एक पवित्र स्थल है। इतना ही नहीं भगवान बुद्ध के कारण यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी प्रमुख तीर्थ स्थल है। वैशाली के बारे में कहा जाता है कि भगवान बुद्ध यहां कई बार आए थे। उन्होंने यहां काफी समय बिताया था। कुशीनगर में महापरिनिर्वाण की घोषणा उन्होंने वैशाली में ही की थी। बताया जाता है कि भगवान बुद्ध ने वैशाली के कोल्हुआ में अपना अंतिम उपदेश दिया था, उसी के याद में सम्राट अशोक ने यहां अशोक स्तंभ बनवाया था।
दर्शनीय स्थल
विश्व शांति स्तूप के पास अन्य दर्शनीय स्थलों मे अशोक स्तंभ, राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और कुंडलपुर है। यहां रोज हजारों लोग आते हैं।
कैसे पहुंचे
यह स्थल सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां आप पटना, हाजीपुर और मुजफ्फरपुर से आसानी से बस या टैक्सी से आ सकते हैं। ट्रेन के आने के लिए आपको 30 किलोमीटर दूर मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन या फिर 41 किलोमीटर दूर हाजीपुर जंक्शन आना होगा। नजदीकी हवाई अड्डा पटना करीब 65 किलोमीटर दूर है।
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वैसे बिहार में सर्दी और गर्मी दोनों काफी ज्यादा पड़ती है। इसलिए यहां फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच आना सही रहता है। बरसात में कोल्हुआ के आसपास बाढ़ का पानी आ जाता है। इसलिए बारिश में आने से बचना चाहिए।
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-हितेन्द्र गुप्ता
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