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महाकुंभ 2025: आस्था, भक्ति और सेवा का अद्भुत संगम

प्रयागराज महाकुंभ आस्था, भक्ति और सेवा का अद्भुत संगम बन गया है। इस बार का महाकुंभ 2025 अब तक के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक बन गया है। यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर अभी तक 58 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पवित्र स्नान कर चुके हैं। मकर संक्रांति से लेकर महाशिवरात्रि

उत्तर प्रदेश के वे टॉप 10 पर्यटन स्थल, जहां गए बिना आपकी यात्रा नहीं होगी पूरी

उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां सालों भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। उत्तर प्रदेश काफी खूबसूरत राज्य है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। भगवान राम की नगरी अयोध्या, भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन से लेकर भगवान बुद्ध से संबंधित सारनाथ और कुशीनगर जैसे धार्मिक स्थलों पर हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। महादेव की नगरी काशी, कुंभनगरी प्रयागराज से लेकर प्रेम प्रतीक की नगरी आगरा जैसे पर्यटक स्थल घुमक्कड़ों के लिए पसंदीदा डेस्टिनेशन बने हुए हैं। नजाकत, नफासत और तहजीब के शहर लखनऊ गए बिना तो जैसे आपकी यात्रा पूरी ही नहीं होगी। सभी फोटो- यूपी टूरिज्म नए साल में लोग फिर से घर से बाहर निकला शुरू कर दिए हैं। वे नई-नई जगहों पर जा रहे हैं तो ऐसे में आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश के उन टॉप 10 पर्यटन स्थलों के बारे में जहां आप देश के किसी भी कोने से आसानी से पहुंच सकते हैं। 1. वाराणसी बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी को बनारस या काशी के नाम से भी जानते हैं। काशी दुनिया की सबसे प्राचीन जीवंत नगरी के रूप में विख्यात है। पवित्र गंगा नदी के किनारे बसे का...

दिल्ली में हैं तो नवरात्रि पर इन दुर्गा मंदिरों में जरूर जाइए

दुर्गा पूजा तो वैसे बंगाल-बिहार का मशहूर है। लेकिन नवरात्रि के दौरान दिल्ली में एक अलग ही उमंग होता है। दिल्ली के लोग नवरात्र को काफी आनंद और उत्साह के साथ मनाते हैं। बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं और रामलीला का मंचन भी होता है। दशहरा के दिन रावण वध देखने के लिए काफी दूर-दूर से लोग आते हैं। इस सबके बीच दिल्ली के कुछ दुर्गा मंदिर हैं, जिसकी हिंदू धर्म के श्रद्धालुओं के बीच काफी मान्यता है।

बुद्ध अस्थि अवशेष स्थल वैशाली, दुनिया भर से बौद्ध अनुयायी आते हैं यहां

बौद्ध धर्म के अनुयायिओं के लिए बिहार का वैशाली एक पवित्र तीर्थ स्थल है। भगवान बुद्ध ने यहां कई साल गुजारे थे। वैशाली भगवान बुद्ध को काफी प्रिय था। भगवान बुद्ध के साथ ही वैशाली कई कारणों से दुनिया भर में प्रसिद्ध है। वैशाली का बासोकुंड जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली है। वैशाली में अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और विश्व शांति स्तूप है।

World Peace Pagoda, Vaishali: विश्व को शांति का संदेश देता वैशाली का विश्व शांति स्तूप

वैशाली का विश्व शांति स्तूप आज भी विश्व को शांति का संदेश दे रहा है। लोकतंत्र की जननी वैशाली ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है। यहां जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली बासोकुंड यानी कुंडलपुर है। अशोक का लाट यानी अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और सबसे प्रमुख जापान की ओर बनवाया गया विश्व शांति स्तूप है।

बिहार के वैशाली में है दुनिया की सबसे पुरानी संसद: राजा विशाल का गढ़

आज जो हम हर बात में प्रजातंत्र और लोकतंत्र की बात करते हैं उसे सबसे पहले दुनिया को बिहार ने दिया था। बिहार के वैशाली को दुनिया में पहला गणराज्य माना जाता है।  वैशाली का लिच्छवी गणराज्य विश्व का प्रथम गणतंत्र माना जाता है। यह आठ छोटे-छोटे राज्यों का संघ था और यहां सारे बड़े फैसले सामूहिक रूप से लिए जाते थे।  ईसा पूर्व 6-7 सौ साल पहले वैशाली लिच्छवी गणराज्य की राजधानी थी।

अशोक स्तंभ वैशाली: जानिए जैन धर्म का यह जन्मस्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए क्यों है खास

वैशाली यानी दुनिया का पहला गणराज्य। वैशाली यानी जिसने विश्व को लोकतंत्र दिया। महाभारत युग के राजा विशाल के नाम पर बना यह वैशाली भगवान महावीर की जन्मभूमि भी है। यानी जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर का जन्म बासोकुंड, वैशाली में ही हुआ था। लेकिन यह सिर्फ जैन धर्म के लिए ही पवित्र स्थल नहीं है, बल्कि वैशाली एक प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल भी है। यहां हर साल चीन, जापान, श्रीलंका, इंडोनेशिया, नेपाल, कनाडा के साथ दुनिया भर से लाखों पर्यटक आते हैं।

केसरिया में है दुनिया का सबसे बड़ा स्‍तूप, भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण से पहले किया था रात्रि विश्राम

सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लिए बिहार सबसे पवित्र स्थल है। बिहार में बौद्ध धर्म के कई पवित्र स्थलों में से एक है केसरिया का बौद्ध स्तूप। बताया जाता है कि भगवान बुद्ध ने 483 ईसा पूर्व में कुशीनगर में महापरिनिर्वाण लेने से पहले एक रात केसरिया में बिताई थी। बताया जाता है कि वैशाली से कुशीनगर जाते वक्त केसरिया में विश्राम के दौरान उन्होंने अपना भिक्षा पात्र लिच्छविओं को सौंप दिया था।

जल मंदिर पावापुरी: भगवान महावीर का निर्वाण स्थल, जहां उन्होंने दिया था पहला और अंतिम उपदेश

जल मंदिर पावापुरी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। भगवान महावीर को इसी स्थल पर मोक्ष यानी निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म के लोगों के लिए यह एक पवित्र शहर है। बिहार के नालंदा जिले में राजगीर के पास पावापुरी में यह जल मंदिर है। यह वही जगह है जहां भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला और आखिरी उपदेश दिया था। भगवान महावीर ने इसी जगह से विश्व को अहिंसा के साथ जिओ और जीने दो का संदेश दिया था।

विक्रमशिला विश्वविद्यालय: दुनिया के इस प्रतिष्ठित शिक्षा के केंद्र को मुस्लिम आक्रंता बख्तियार खिलजी ने कर दिया था नष्ट

प्राचीन काल में बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय दुनिया के दो प्रतिष्ठित शिक्षा के केंद्र थे। नालंदा विश्वविद्यालय की तरह ही विक्रमशिला विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दुनिया भर से विद्यार्थी आते रहते थे। इसका निर्माण 8 वीं शताब्दी में पाल वंश के शासक धर्मपाल ने करवाया था। धर्मपाल के बाद इसके नष्ट होने से पहले तक तेरहवीं शताब्दी तक उनके उत्तराधिकारियों ने इसका संरक्षण किया। बताया जाता है कि 1202-1203 ईस्वी में मुस्लिम आक्रंता बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट कर दिया।

गोल्डन चैरियट ट्रेन: आप भी ले सकते हैं शाही यात्रा का आनंद

गोल्डन चैरियट यानी स्वर्ण रथ... यह ट्रेन नाम के अनुरूप ही आपको एक सुनहरे सपनों की दुनिया में ले जाता है। यह आपको राजसी अंदाज में दक्षिण भारत के गौरवशाली इतिहास के दौर में ले जाता है। यह दक्षिण भारत की वास्तुकला, संस्कृति और इतिहास से रूबरू कराता है। भारतीय रेलवे का यह ट्रेन गोल्डन चैरियट न सिर्फ आपको दक्षिण भारत के खूबसूरत ऐतिहासिक और विरासत स्थलों की यात्रा पर ले जाता है, बल्कि खुद पर गर्व करने का मौका भी देता है।

प्रयागराज: ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद यहीं किया था प्रथम यज्ञ

गंगा, यमुना और सरस्वती तीन नदियों के संगम पर स्थित है प्रयागराज। संगम स्थल को त्रिवेणी कहा जाता है। यह हिन्दुओं के लिए पवित्र और लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ यहीं किया था। इसी 'प्रथम यज्ञ' के प्र और यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना है। देश के ऐतिहासिक एवं पौराणिक नगरों में से एक प्रयागराज में हर बारह वर्ष में कुंभ मेला और हर छह साल में अर्द्धकुंभ लगता है।

दिल्ली के 7 सबसे लोकप्रिय मंदिर, जहां श्रद्धालुओं की ही नहीं पर्यटकों की भी लगी रहती है भीड़

दिल्ली देश की राजधानी है। यहां दुनिया के तमाम देशों के दूतावास और उच्चायोग हैं। यहां कई पर्यटक स्थल हैं। लाल किला, कुतुब मीनार, जंतर-मंतर, इंडिया गेट जैसे दर्शनीय स्थल हैं। दिल्ली में मुगल गार्डन, लोधी गार्डन और गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज जैसे कई उद्यान हैं। यहां दुनिया भर से पर्यटक घूमने आते हैं।

वाराणसी यानी बनारस यानी दुनिया का सबसे प्राचीन और जीवंत शहर

वरुना और असि नदी के संगम पर बसा शहर वाराणसी... यानी बनारस... यानी वह शहर जहां जीवन में हर वक्त रस बना रहता है। जीवन मस्त रहता है। गंगा किनारे स्थित बाबा भोलेनाथ ही यह नगरी दुनिया भर में काशी नाम से भी विख्यात है। लोग यहां पवित्र गंगा में डुबकी लगाने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां डुबकी लगाने से सारे पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही यहां मृत्यु प्राप्त होने और अंतिम संस्कार होने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।  

सारनाथ: काशी में मोक्ष प्राप्ति से पहले एक बार जरूर जाना चाहिए भगवान बुद्ध की तपस्थली

विश्व की सबसे प्राचीन नगरी काशी से 10 किलोमीटर पर है सारनाथ। यह हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल तो है ही, बौद्ध धर्म के अनुनायियों के लिए यह सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश इसी जगह दिया था। तभी से इसे महाधर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है।

Lucknow Tour: मुस्कुराइए की आप लखनऊ में हैं, अदब के इस शहर में कुछ दिन नवाब बन के तो देखिए

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है। अदब के इस शहर में आकर आप हमेशा के लिए यहां के होकर रह जाएंगे। लखनऊ को नजाकत और नफासत का शहर भी कहते हैं। यहां के खानपान के साथ आप 'पहले आप' 'पहले आप' के मुरीद बनकर रह जाएंगे। तहजीबों के इस शहर का रहन-सहन, पहनावा और खानपान सब कुछ काफी महीन है। यह यहां के लोगों को देश-दुनिया के अन्य हिस्सों से अलग करता है।

सैर के साथ सैर

सैर यानी यात्रा, घूमना-फिरना, देशाटन, पर्यटन, नए लोगों और नए स्थानों के बारे में जानना-समझना, देश-दुनिया के बारे में अपनी सोच-समझ को व्यापक रूप देना। हम देश दुनिया की सैर इसलिए करते हैं कि अपने ज्ञान को विस्तार दे सकें। एक-दूसरे के बारे में जान सकें। नई-नई जगहों पर जाने से कई तरह की नई जानकारियां मिलती है। मानसिक विकास भी होता है, लेकिन आजकल पर्यटन के नाम पर हम कर क्या रहे हैं?