उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है। अदब के इस शहर में आकर आप हमेशा के लिए यहां के होकर रह जाएंगे। लखनऊ को नजाकत और नफासत का शहर भी कहते हैं। यहां के खानपान के साथ आप 'पहले आप' 'पहले आप' के मुरीद बनकर रह जाएंगे। तहजीबों के इस शहर का रहन-सहन, पहनावा और खानपान सब कुछ काफी महीन है। यह यहां के लोगों को देश-दुनिया के अन्य हिस्सों से अलग करता है।
हालांकि वक्त और आधुनिकता के साथ काफी कुछ बदल चुका है, लेकिन यह शहर आज भी अपनी गंगा-जमुनी संस्कृति और विरासत को बड़ी नजाकत के साथ बरकरार रखे हुए है। यहां की चिकन की कढ़ाई, जरी-जरदोजी और अवधी-नवाबी खाना आप कभी भूल नहीं पाएंगे। यहां की बिरयानी, कबाब और नॉनवेज की महक आपके मुंह में पानी ला देगी। शाम को यहां की बाजारों में जो रंगत रहती है वो आपको अपने ही रंग में रंग लेगी।लखनऊ और इसके आसपास का पूरा इलाका अवध नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि इसका प्राचीन नाम लक्ष्मणपुर था। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसे बसाया था। अयोध्या यहां से पास ही है और भगवान राम ने गोमती नदी के किनारे का यह क्षेत्र अपने भाई लक्ष्मण को दिया था। इस नगर को बाद में लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से भी जाना गया, जो धीरे-धीरे बदल कर लखनऊ हो गया है।
लखनऊ को भव्य इमारतों का शहर भी कह सकते हैं। यहां के नवाबों ने कई खूबसूरत इमारतें बनवायीं। इन इमारतों की वास्तुकला को देखकर आप आज भी वाह कहने के नहीं चुकेंगे। बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा, मोती महल और रेजिडेंसी यहां की भव्यता की कहानी बयां करती है। अब यहां लोग अंबेडकर पार्क देखने भी दुनिया भर से आते हैं। आम के बागों के लिए मशहूर लखनऊ को बागों का शहर भी कहते हैं।
अगर आप ट्रेन से यहां आएंगे तो यहां के चारगाग रेलवे स्टेशन के वास्तुकला को देखकर ही मोहित हो जाएंगे। राजस्थानी और मुगल शैली से बनाए गए इस स्टेशन की भव्यवता किसी महल से कम नहीं है। यहां से निकल कर आप इस नवाबों के शहर में घूम सकते हैं। खरीदारी के लिए आप यहां के गंज या हजरतगंज मार्केट जा सकते हैं। यह लखनऊ का सबसे प्रमुख मार्केट हैं। शाम को यहां की चमक-दमक और रौनक अलग ही रहती है। लखनऊ आने के बाद आपका यहां आना जरूर बनता है।
यहां एक घंटाघर है, जिसके बारे में बताया जाता है कि यह भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है। आप यहां भी जा सकते हैं। इसके साथ ही अगर लखनऊ के सभी नवाबों की तस्वीरें यहां बनी एक पिक्चर गैलरी में देख सते हैं। नवाबों के समय यहां कथक, ठुमरी, ख्याल, दादरा, कव्वाली, गजल और शेरो-शायरी जैसी कला भी काफी परवान चढ़ी थी। यहां के भव्य इमारतों के साथ यहां की समृद्ध विरासत अब भी यहां की कला-संस्कृति और तहजीब में जीवित है। यहां आकर आप भी खुद को किसी नवाब से कम नहीं समझेंगे और एक बार जरूर कहेंगे कि मुस्कुराइए की आप लखनऊ में हैं।
कैसे पहुंचे लखनऊ-
लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है। लखनऊ देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल, सड़क और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप को देश के किसी भी इलाके से लखनऊ पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
कब जाएं लखनऊ-
लखनऊ के मौसम की बात की जाए तो यहां भी दिल्ली की तरह सर्दी में कड़ाके की ठंड और गर्मी में झुलसाने वाली गर्मी पड़ती है। इसलिए लखनऊ घूमना फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच सही रहता है।
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-हितेन्द्र गुप्ता
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