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Showing posts from August, 2021

अब चांदनी रात में फिर से करें ताजमहल का दीदार, एक साल बाद मिलेगा मौका

चांदनी रात में ताजमहल का दीदार करने की चाहत रखने वाले पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है। अब वे एक बार फिर से रात में ताज की खूबसूरती का दीदार कर सकेंगे। कोरोना के कारण ताजमहल को पिछले साल 17 मार्च, 2020 को बंद कर दिया गया था। कोरोना की पहली लहर में ताजमहल को 188 दिनों तक बंद रखने के बाद खोला गया, जबकि दूसरी लहर में 61 दिनों के बाद खोला गया। कोरोना के बाद भले ही ताजमहल को खोल दिया गया, लेकिन रात में दीदार की अनुमकि नहीं दी गई।

गुरु गोरखनाथ के भक्तों के लिए खुशखबरी, यूपी का अग्रणी पर्यटन केंद्र बनेगा बुंदेलखंड का गोरखगिरि

गुरु गोरखनाथ के भक्तों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। बुंदेलखंड में महोबा स्थित गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली गोरखगिरि उत्तर प्रदेश का अग्रणी पर्यटन केंद्र बनेगा। नाथ संप्रदाय के प्रणेता गुरु गोरखनाथ के सपनों को साकार करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखगिरि पर्वत पर मंदिर, बाजार, रोप-वे, धर्मशाला, ध्यानकेंद्र बनवा रहे हैं। इसके साथ यहां गुरु गोरखनाथ की एक बड़ी भव्य प्रतिमा भी स्थापित होगी। इस पर करीब 25 करोड़ की लागत आएगी। करीब दो हजार फीट ऊंचे गोरखगिरि पर्वत पर सिद्ध बाबा मंदिर है। यहां गर्भगृह में गुरु गोरखनाथ की खड़ाऊं-चिमटा रखा हुआ है।

घुमक्कड़ों के लिए खुशखबरी, गुजरात का केवड़िया बनेगा इको फ्रेंडली पर्यटन स्थल

गुजरात घूमने की ख्वाहिश रखने वाले पर्यटकों के लिए एक अच्छी खबर है। गुजरात सरकार केवड़िया को इको फ्रेंडली टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर डेवलप कर रही है। 15 अगस्त से केवड़िया को ई-रिक्शा और ई-कार के लिए खोल दिया गया है। फिलहाल यहां 10 ई-रिक्शा और ई-कार शुरू किए गए हैं। 31 अक्तूबर से यहां सिर्फ ई वाहन ही चलेंगे। 31 अक्तूबर के बाद यहां डीजल- पेट्रोल की गाड़ियां नहीं चलेंगी। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त करने पर काम हो रहा है। पर्यटकों के लिए यहां ई-बस भी चलाए जाएंगे।

श्रद्धालुओं के लिए खुला पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर का पट, जानिए क्यों खास है यह मंदिर

ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का पट 16 अगस्त से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। 16 से 22 अगस्त तक सिर्फ पुरी के निवासी ही भगवान के दर्शन कर पाएंगे। 23 अगस्त के बाद यहां आने वाले सभी श्रद्धालु भगवान श्री जगन्नाथ का दर्शन कर पाएंगे। मंदिर में आप सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक भगवान के दर्शन कर सकेंगे। श्रद्धालुओं को कोरोना दिशानिर्देशों के तहत मास्क, सैनिटाइजर का इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना होगा। राज्य से बाहर के लोगों को 96 घंटे के भीतर वाला आरटी-पीसीआर टेस्ट या कोविड-वैक्सीनेसन का सर्टिफिकेट दिखाना होगा।

दशरथ मांझी स्मारक: प्यार के लिए चीर दिया पहाड़ का सीना

दशरथ मांझी एक ऐसा शख्स, एक ऐसा नाम जिसने प्यार के लिए पहाड़ का सीना चीर दिया। माउंटेन मैन के नाम से मशहूर दशरथ मांझी बिहार में गया से करीब 31 किलोमीटर दूर गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे। गहलौर गांव के आसपास का इलाका काफी पिछड़ा है और आज से 50-60 साल पहले तो यहां की स्थिति काफी खराब थी। लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी नसीब नहीं थी। गांव में ना बिजली ना पानी, इलाज के लिए के कारण पहाड़ी से घिरे अत्री ब्लॉक के उनके गांव के लोगों को नजदीकी 15 किलोमीटर दूर के वजीरगंज शहर जाने के लिए करीब 50-60 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ता था। ऐसे में सिर्फ एक हथौड़ा और छेनी से अकेले 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काट कर 360 फुट लंबी और 30 फुट चौड़ी सड़क बना डाली। माउंटेन मैन दशरथ मांझी ने अपने जुनून के कारण करीब 22 साल की मेहनत के बाद अत्री से वजीरगंज की दूरी को 50-60 से 15 किलोमीटर कर दिया। दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता निकालने का प्रण तब लिया जब साल 1959 में उनकी पत्नी पहाड़ पार करने के क्रम में गिर गईं। समय पर दवा-पानी ना मिलने के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। इसके बाद से दशरथ मांझी ने ठान लिया कि इस पहाड़ी के

सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति

बिहार के गया में निरंजना नदी के किनारे बकरौर गांव में स्थित सुजाता गढ़ बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है। यह जगह धार्मिक के साथ पुरातात्विक दृष्टि से भी काफी महत्‍वपूर्ण है। खुदाई के दौरान यहां भगवान बुद्ध की विशाल खंडित प्रतिमा और भगवान विष्णु की एक फीट ऊंची काले प्राचीन पत्थर की प्रतिमा मिली थी। यहां खुदाई में पाल वंश कालीन अभिलेख और प्रतिमा मिले हैं। यहां मिले स्तूप का व्यास 150 फीट और ऊंचाई 50 फीट है। बताया जाता है कि इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था।

पटना का रिवरफ्रंट गांधी घाट, वीकेंड पर शांति के बीच शाम में लीजिए गंगा आरती का आनंद

पटना में एक बेहद खूबसूरत जगह है- गांधी घाट। इसे आप पटना का रिवरफ्रंट भी कह सकते हैं।  गंगा नदी के किनारे पटना में कई घाट है, लेकिन सबसे लोकप्रिय घाट है गांधी घाट। इस घाट का नाम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया है। यहां गांधीजी की अस्थियां विसर्जित होने के कारण इसका नाम गांधी घाट रखा गया है। इसलिए इस घाट का एक ऐतिहासिक महत्व भी है।

विश्व के टॉप 50 में दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मध्य एशिया में सर्वश्रेष्ठ

दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट को मध्य एशिया के सर्वश्रेष्ठ हवाई अड्डे का अवार्ड दिया गया है। दिल्ली हवाईअड्डे के रैंकिंग में भी सुधार हुआ है। साल 2020 में 50 वें नंबर से साल 2021 में दुनिया के टॉप हवाई अड्डे में 45 वें नंबर पर आ गया है। यह उपलब्धि हासिल करने वाला इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश का पहला एयरपोर्ट बन गया है।

गुजरात के लोथल में बनेगा देश का पहला राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर

गुजरात के लोथल में देश का पहला 'राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) बनेगा। संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा में कहा कि भारतीय समुद्री धरोहर की विरासत, लोथल को राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय, हैरिटेज थीम पार्क, समुद्री अनुसंधान संस्थान और मनोरंजन स्थल सहित विभिन्न प्रकार की पर्यटक संबंधी सुविधाएं होंगी।

बुद्ध अस्थि अवशेष स्थल वैशाली, दुनिया भर से बौद्ध अनुयायी आते हैं यहां

बौद्ध धर्म के अनुयायिओं के लिए बिहार का वैशाली एक पवित्र तीर्थ स्थल है। भगवान बुद्ध ने यहां कई साल गुजारे थे। वैशाली भगवान बुद्ध को काफी प्रिय था। भगवान बुद्ध के साथ ही वैशाली कई कारणों से दुनिया भर में प्रसिद्ध है। वैशाली का बासोकुंड जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली है। वैशाली में अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और विश्व शांति स्तूप है।

गोलघर: 235 साल का हो गया पटना की पहचान यह ऐतिहासिक धरोहर

दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक पटना का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। पटना हजारों साल तक कई महान सम्राटों की राजधानी रहा है। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर कई ऐतिहासिक स्मारकों, धरोहरों और विरासत स्थलों का स्थल रहा है। पटना में गांधी मैदान के पश्चिम में एक ऐतिहासिक धरोहर है- गोलघर।

हिंद-इस्लामी वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण शेरशाह सूरी का मकबरा

शेरशाह सूरी का मकबरा बिहार रोहतास जिले के सासाराम में है। शेरशाह का यह मकबरा एक विशाल सरोवर के बीचोंबीच लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। शेरशाह ने अपने जीवनकाल में ही इस मकबरे का निर्माण शुरू कर दिया था, लेकिन पूरा उसके मृत्यु के तीन महीने बाद ही हो पाया। शेरशाह की मौत 13 मई, 1545 को कालिंजर किले में हो गई थी और मकबरे का निर्माण 16 अगस्त, 1545 को पूरा हुआ। शेरशाह के शव को कालिंजर से लाकर यहीं दफनाया गया था। इस मकबरे में 24 कब्रें हैं और शेरशाह सूरी की कब्र ठीक बीच में है।

जिम कार्बेट, राजाजी पार्क और रणथंभौर को मात देता बिहार का यह अकेला वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, हनीमून मनाने वालों के लिए है बजट में बेस्ट ऑप्शन

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का अकेला टाइगर रिजर्व है। पश्चिमी चंपारण जिले के वाल्मीकि नगर में स्थित यह टाइगर रिजर्व प्राकृतिक विविधता से भरा पड़ा है। करीब 800 वर्ग किलोमीटर में फैले इस वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में आकर आप प्रकृति की सुंदरता के बीच खोकर रह जाएंगे। मीलों तक फैले यहाँ की हरियाली को निहारते-निहारते आप थक जाएंगे लेकिन मन नहीं भरेगा।

बिहार के इस पर्यटक स्थल पर आकर आप देहरादून-मसूरी और कैम्प्टी फॉल को भूल जाएंगे...

दुनिया को लोकतंत्र के साथ बौद्ध, जैन धर्म और खालसा पंथ देने वाले बिहार में कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जहाँ आकर आप देश-विदेश के प्रमुख पर्यटक स्थलों को भूल जाएंगे। यहाँ ऐतिहासिक भव्य भवनों के साथ विशाल किले हैं, दिव्य मंदिर, गुरुद्वारे और स्तूप हैं, इठलाती कलकल बहती नदियाँ हैं, झरने और जलप्रपात हैं, तो विश्व को शांति का संदेश देते विहार भी हैं। लेकिन आज हम आपको बिहार के सिर्फ उस छोटे से हिस्से में लेकर जा रहे हैं जिसे देखकर आप देहरादून-मसूरी की पहाड़ियों और कैम्प्टी फॉल के जलप्रपात को भूल जाएंगे।