बिहार के गया में निरंजना नदी के किनारे बकरौर गांव में स्थित सुजाता गढ़ बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है। यह जगह धार्मिक के साथ पुरातात्विक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। खुदाई के दौरान यहां भगवान बुद्ध की विशाल खंडित प्रतिमा और भगवान विष्णु की एक फीट ऊंची काले प्राचीन पत्थर की प्रतिमा मिली थी। यहां खुदाई में पाल वंश कालीन अभिलेख और प्रतिमा मिले हैं। यहां मिले स्तूप का व्यास 150 फीट और ऊंचाई 50 फीट है। बताया जाता है कि इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था।
सुजाता गढ़ स्थित इसी प्राचीन स्तूप के पास भगवान बुद्ध यानी राजकुमार सिद्धार्थ ने आत्मज्ञान प्राप्त होने से पहले कठिन तप किया था। भगवान बुद्ध ने छह वर्षों तक हठयोग के तहत ढूंगेश्वरी पहाड़ी की प्रागबोधि गुफा में कठिक तप किया। इस दौरान उन्होंने खाना-पीना भी छोड़ दिया था। खाना-पीना छोड़ देने के कारण उनका शरीर कंकाल की तरह बन गया था। इस साधना से संतुष्ट ना होने पर ढूंगेश्वरी पहाड़ी से नीचे आ नदी पार कर सेनानी गांव में एक बरगद के पेड़ के नीचे विश्राम किया। खाना-पीना ना खाने के कारण मरणासन्न की हालत में देख वहां गाय चराने वाली एक महिला सुजाता ने उन्हें खीर का एक प्याला दिया।
खीर खाकर उन्हें आत्म-त्याग की निरर्थकता का एहसास हुआ। खीर खाने से उनके शरीर में शक्ति का संचार और वे बोधि वृक्ष के पास गए। वहां उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। बताया जाता है कि इसी घटना के बाद उन्हें मध्यम मार्ग का ज्ञान हुआ और भगवान ने कहा कि शरीर भी जरूरी है। उसी समय के बाद सुजाता के नाम पर इस जगह का नाम सुजाता गढ़ रखा गया। भगवान बुद्ध के जीवन में इस स्थान के महत्व को देखते हुए सम्राट अशोक ने यहां सुजाता के नाम पर इस स्तूप का निर्माण कराया।
यहां हर साल हजारों बौद्ध अनुयायी और पर्यटक आते हैं। तभी से यह एक तरह से कह सकते हैं कि परपंरा है कि बुद्ध जयंती पर श्रद्धालु भगवान बुद्ध को खीर भी समर्पित करते हैं। बौद्ध भिक्षु जयंती पर खीर फल-फूल लेकर शोभायात्रा के साथ बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर पहुंच खीर अर्पित करते हैं।
नजदीकी दर्शनीय स्थल
सुजाता गढ़ के पास स्थित बोधगया में महाबोधि मंदिर के साथ ही कई और मंदिर और म्यूजियम हैं। बोधगया से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर गया है। यहां आप विष्णुपद मंदिर के साथ सीताकुंड, राम कुंड, रामशीला के साथ अक्षय वट का दर्शन कर सकते हैं। बोधगया से करीब 13 किलोमीटर की दूरी पर है विश्व प्रसिद्ध नालन्दा विश्वविद्यालय। आप इस विश्वविद्यालय के अवशेष को देख सकते हैं। यहां एक संग्रहालय भी है। यहां से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध जैन तीर्थस्थल पावापुरी है। यहां से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर राजगीर हैं। आप यहां विश्व शांति स्तूप का दर्शन कर सकते हैं।
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कैसे पहुंचे-
सुजाता गढ़ महाबोधि मंदिर के पास ही है। यहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं। यह स्थल गया से करीब 15 किलोमीटर और पटना से करीब 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गया शहर पटना के साथ देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल और सड़क मार्ग से बेहतर तरीके से जुड़ा हुआ है। गया में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है। आप यहां आसानी से हवाई जहाज से भी आ सकते हैं।
कब पहुंचे-
वैसे तो यहां सालों भर लोग आते रहते हैं लेकिन हो सके तो बारिश और गर्मी में यहां आने से बचना चाहिए। बुद्ध जयंती पर यहां लाखों लोग आते हैं।
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-हितेन्द्र गुप्ता
Interesting story about the origins of Sujatagadh.
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद
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