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बुद्ध अस्थि अवशेष स्थल वैशाली, दुनिया भर से बौद्ध अनुयायी आते हैं यहां

बौद्ध धर्म के अनुयायिओं के लिए बिहार का वैशाली एक पवित्र तीर्थ स्थल है। भगवान बुद्ध ने यहां कई साल गुजारे थे। वैशाली भगवान बुद्ध को काफी प्रिय था। भगवान बुद्ध के साथ ही वैशाली कई कारणों से दुनिया भर में प्रसिद्ध है। वैशाली का बासोकुंड जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली है। वैशाली में अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और विश्व शांति स्तूप है।



वैशाली में प्राचीन बौद्ध स्तूप भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष पर बने आठ मौलिक स्तूपों में से एक है। बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में महापरिनिर्वाण के बाद वहां के मल्लों ने उनके शरीर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया और अस्थि अवशेष को आठ भागों में बांट दिया। इसमें एक भाग वैशाली के लिच्छवियों को भी मिला। शेष सात भाग 1. मगध नरेश आजातशत्रु, 2. कपिलवस्तु के शाक्य, 3. अलकप्प के बुली, 4. रामग्राम के कोलिय, 5. वेठद्वीप के एक ब्राह्मण तथा 6. पावा एवं 7. कुशीनगर के मल्लों को प्राप्त हुए।


बुद्ध अस्थि अवशेष स्थल वैशाली का पांचवी सदी में 8.07 मीटर व्यास में बना स्तूप सुधार के बाद अब 12 मीटर व्यास का हो गया है। इस स्तूप का निर्माण एक मिट्टी के स्तूप के रूप में लिच्छविओं ने किया था। सन 1958-1962 के बीच पटना स्थित केपी जयसवाल शोध संस्थान की ओर से किए गए पुरातात्विक खुदाई में इस स्तूप की खोज की गईृ। खुदाई में भगवान बुद्ध की पवित्र राख, शंख का एक टुकड़ा, मोतियों के टुकड़े, एक पतली सुनहरा पत्ती और एक तांबे के पंच-चिह्नित सिक्का एक कास्केट में मिला। सुरक्षा की दृष्टि के कारण इस कास्केट को सन 1972 में पटना म्यूजियम में रख दिया गया।


बुद्ध अवशेष स्तूप बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। हालांकि भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष पटना म्यूजियम में है, लेकिन भगवान के अस्थि अवशेष यहां से प्राप्त होने के कारण हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। अब सरकार की ओर से भी यहां धीरे-धीरे सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। वैसे अब भी काफी कुछ किया जाना शेष है।


दर्शनीय स्थल

बुद्ध अवशेष स्तूप के पास अन्य दर्शनीय स्थलों मे विश्व शांति स्तूप, अशोक स्तंभ, राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और कुंडलपुर है। यहां रोज हजारों लोग आते हैं।

सभी फोटो बिहार टूरिज्म

कैसे पहुंचे वैशाली

यह स्थल सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां आप पटना, हाजीपुर और मुजफ्फरपुर से आसानी से बस या टैक्सी से आ सकते हैं। ट्रेन के आने के लिए आपको मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन या हाजीपुर जंक्शन आना होगा। नजदीकी हवाई अड्डा पटना करीब 65 किलोमीटर दूर है।

कब पहुंचे
वैसे बिहार में सर्दी और गर्मी दोनों काफी ज्यादा पड़ती है। इसलिए यहां फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच आना सही रहता है। बरसात में कोल्हुआ के आसपास बाढ़ का पानी आ जाता है। इसलिए बारिश में आने से बचना चाहिए।

ब्लॉग पर आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप इस पोस्ट पर अपना विचार, सुझाव या Comment शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। 

-हितेन्द्र गुप्ता

Comments

  1. वैशाली की विशेष खूबियों से हमें अवगत करवाने के लिए धन्यवाद। आशा है मैं कभी इस जगह को स्वयं देख पाऊंगी।

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