दशरथ मांझी एक ऐसा शख्स, एक ऐसा नाम जिसने प्यार के लिए पहाड़ का सीना चीर दिया। माउंटेन मैन के नाम से मशहूर दशरथ मांझी बिहार में गया से करीब 31 किलोमीटर दूर गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे। गहलौर गांव के आसपास का इलाका काफी पिछड़ा है और आज से 50-60 साल पहले तो यहां की स्थिति काफी खराब थी। लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी नसीब नहीं थी। गांव में ना बिजली ना पानी, इलाज के लिए के कारण पहाड़ी से घिरे अत्री ब्लॉक के उनके गांव के लोगों को नजदीकी 15 किलोमीटर दूर के वजीरगंज शहर जाने के लिए करीब 50-60 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ता था। ऐसे में सिर्फ एक हथौड़ा और छेनी से अकेले 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काट कर 360 फुट लंबी और 30 फुट चौड़ी सड़क बना डाली। माउंटेन मैन दशरथ मांझी ने अपने जुनून के कारण करीब 22 साल की मेहनत के बाद अत्री से वजीरगंज की दूरी को 50-60 से 15 किलोमीटर कर दिया।
दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता निकालने का प्रण तब लिया जब साल 1959 में उनकी पत्नी पहाड़ पार करने के क्रम में गिर गईं। समय पर दवा-पानी ना मिलने के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। इसके बाद से दशरथ मांझी ने ठान लिया कि इस पहाड़ी के बीच से रास्ता ना होने के कारण उन्हें जो परेशानी हुई है, वो किसी और को ना होने देंगे। हथौड़ा लेकर पहाड़ काटना शुरू कर दिया। एक छेनी-हथौड़ा से पहाड़ काटते देख लोग उन्हें सनकी, पागल कहकर पुकारने लगे। स्थानीय लोग आपस में बात करने लगे कि पत्नी की मौत के बाद दशरथ पगला गया है, लेकिन दशरथ ने हार नहीं मानी। साल 1960 से 1982 तक लगातार 22 साल तक दिन-रात रास्ता निकालने में जुटे रहे। जो लोग उनका मजाक उड़ाते थे, अब उसी रास्ते से आया-जाया करते हैं।
सभी फोटो- बिहार टूरिज्म |
दुख की बात यह है कि इस दौरान सरकार या स्थानीय प्रतिनिधि ने उनकी कोई मदद नहीं की। किसी तरह घर-परिवार चलाने वाले एक शख्स ने पूरी दुनिया को संदेश दे दिया। 17 अगस्त, 2007 को 78 साल की उम्र में कैंसर से उनका निधन हो गया। उनके समाधि स्थल पर एक मूर्ति भी लगा दी गई है। सरकार ने अब उस रास्ते को पक्का कर दिया, लेकिन इलाके में अब भी काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।
मांझी: द माउंटेन मैन के नाम से एक फिल्म भी बनी है। लोग उनके गहलौर गांव, अब दशरथ नगर घूमने के लिए आते हैं। लोग यहां से जाते वक्त ये संदेश लेकर जाते हैं कि मनुष्य अगर ठान ले तो कुछ भी कर सकता है।
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-हितेन्द्र गुप्ता
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