महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला की पहाड़ियों में स्थित इस ज्योतिर्लिंग के शिवलिंग का आकार बड़ा होने के कारण इसे 'मोटेश्वर महादेव' के नाम से भी जानते हैं। अगर आप शिवभक्त हैं या नेचर लवर तो भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग आपके लिए एकदम परफेक्ट जगह है। यहां आप सिर्फ भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग का ही दर्शन नहीं करेंगे, बल्कि यहां के घने जंगल, पहाड़, ठंडी हवा और
चारों ओर फैली हरियाली का भी आनंद ले सकेंगे।भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग शिव भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है। यहां आकर मन को असीम शांति मिलती है। बताया जाता है कि यहां ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के पास से ही भीमा नदी निकलती है। मंदिर के पास ही भीमा नदी उद्गम स्थल है। यह नदी आगे जाकर कृष्णा नदी में मिल जाती है। यह स्थल इतना मनमोहक है कि यहां से जाने का मन ही नहीं करता है। लगता है कुछ दिन यहीं बाबा के शरण में गुजार दिया जाए।
पौराणिक कथा
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा बहुत ही रोचक है। बताया जाता है कि रावण के भाई कुंभकर्ण और कर्कटी के बेटे भीमा ने ब्रह्मा जी से अजेय होने का वरदान पाकर धरती पर आतंक मचाना शुरू कर दिया और शिवभक्त राजा कामरूपेश्वर को बंदी बना लिया। राजा इस दौरान कारागार में भी शिवलिंग बनाकर पूजा करते रहे। इस बारे में जब भीमा को पता चला तब उसने शिवलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया। इस पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और उन्होंने भीमा का वध कर दिया। भक्तों के अनुरोध पर भगवान शिव वहां शिवलिंग रूप में विराजमान हो गए। तभी से यह स्थान 'भीमाशंकर' के नाम से प्रसिद्ध है।
एक अन्य कथा के अनुसार त्रेतायुग में त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस ने कठोर तपस्या करके भगवान शंकर से यह वरदान प्राप्त कर लिया कि उसे ना तो कोई भी पुरुष मार सकता है ना कोई महिला। इस वरदान के बाद वह सभी को परेशान करने लगा। इससे भगवान शिव शंकर नाराज हो गए। और उन्होंने माता पार्वती, जो यहां माता कमलजा के रूप में स्थित हैं, के साथ मिलकर अर्धनारी-नटेश्वर के रूप में आकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध किया। तभी से यहां कार्तिक पूर्णि का त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। वध करने के बाद भगवान शंकर वहां बैठ गए। कहा जाता है कि इनके शरीर से जो पसीने की धाराएं निकली उससे भीमा नदी की उत्पति हुई। यहां भीमाशंकर मंदिर के पास ही श्री कमलजा माता की मंदिर है।
भीमाशंकर पहुंचने पर बस स्टैंड के कुछ ही दूरी पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर है। आम तौर पर मंदिर में जाने के लिए पहाड़ी पर चढ़ना होता है लेकिन इस मंदिर में दर्शन के लिए आपको पहाड़ी के नीचे उतरना पड़ता है। पहले सौ के करीब सीढ़ियों से नीचे जाकर मंदिर तक पहुंचना पड़ता था। अब मंदिर ट्रस्ट और सरकार की ओर से उसे बढ़िया से बना दिया गया है। साथ ही रास्ते के ऊपर शेड भी बना दिया गया है। इससे पहले की तुलना में अब यहां दर्शन करना आसान हो गया है।
यहां भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर आप खुद को दिव्य महसूस करेंगे। लगेगा जैसे आप एक अलग ही दुनिया में हैं। असीम शांति के साथ मन को एकदम हल्का महसूस करेंगे। आप यहां पर मंदिर में स्थित पुजारियों से पूजा- अभिषेक भी करा सकते हैं। मंदिर परिसर में एक विशाल घंटा भी है। लोग इसे भी देखना नहीं भूलते। इस मंदिर को नागर शैली में बनाया गया है। मंदिर परिसर में आकर कुछ देर बैठना अपने आप में काफी सुकून देने वाला होता है।
पास के प्रमुख स्थल
गुप्त भीमाशंकर
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर के करीब ढाई-तीन किलोमीटर दूर जंगल में गुप्त भीमाशंकर नामक जगह है। पहाड़ी, पथरीला और घने जंगल के बीच होने के कारण यहां जाने में करीब दो घंटे लग जाते हैं। पहाड़ी जंगल में होने के कारण बच्चों और बुजर्गों को यहां जाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वैसे यह जगह काफी खूबसूरत है। गुप्त भीमाशंकर नाम ले पता चल रहा है है कि यह गुप्त जगह है। लोगों का कहना है कि यह असल गुप्त भीमाशंकर लिंग है। यहां पहाड़ी चट्टानों के ऊपर से शिवलिंग पर पानी गिरता है। बारिस के दिनों में या फिर बारिश के बाद यहां का दृश्य बड़ा मनोरम रहता है।
श्री साक्षी विनायक गणपति मंदिर
गुप्त भीमाशंकर से वापस मंदिर की तरह आने पर कुछ ही दूरी पर श्री साक्षी विनायक गणपति मंदिर है। जंगल के बीच यह एक छोटा सा मंदिर है लेकिन लोगों का कहना है कि यहां प्रार्थन करने से या शीश झुकाने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
श्री कलमजा माता मंदिर
भीमाशंकर मंदिर के पास ही है श्री कलमजा माता मंदिर। मंदिर में पूजा करने के बाद कुछ देर बैठकर यहां आपको एक अलग ही अनुभव होगा। बताया जाता है कि ब्रह्मा जी यहां रोज कलमजा माता को कमल फूल चढ़ाने आते थे। श्री कलमजा माता ने ही भगवान शंकर के साथ मिलकर त्रिपुरासुर का अंत किया था। श्री कलमजा माता को माता पार्वती का ही एक रूप माना जाता है।
मोक्षकुंड
मोक्षकुंडतीर्थ भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पीछे स्थित है। यह कुंड ऋषि कौशिक से जुड़ा हुआ है। पास में अन्य मंदिर भी हैं।
भीमा नदी उद्गम स्थल
श्री कलमजा माता मंदिर के पास ही स्थित है भीमा नदी उद्गम स्थल। बताया जाता है कि यहीं से भीमा नदी निकल कर कृष्णा नदी में मिल जाती है।
वन्य जीवन अभयारण्य
मंदिर के पास ही अभयारण्य है। यहां आप कई तरह के पेड़-पौधे के साथ कई दु्र्लभ पशु-पक्षियों को भी देख सकते हैं। यहां का पूरा इलाका वन्य जीवन अभयारण्य घोषित कर दिया गया है। इससे यहां लोगों को कई दुर्लभ प्रजातियों के पशु-पक्षियों के भी दर्शन हो जाते हैं।
मुंबई प्वाइंट
बस स्टैंड से कुछ ही दूरी पर है मुंबई प्वाइंट। यहां से पहाड़ी और जंगल का बहुत सुंदर दृश्य दिखाई पड़ता है। लोग यहां फोटो भी खिंचवाते हैं।
कैसे पहुंचे?
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पहुंचना काफी आसान है। आप यहां रेल, सड़क या वायुमार्ग से भी आसानी से पहुंच सकते हैं। भीमाशंकर से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पुणे करीब 110 किलोमीटर की दूरी पर है। पुणे से बस, टैक्सी या अपनी गाड़ी से आराम से यहां पहुंच सकते हैं। हरियाली से भरे पहाड़ी रास्ते से गुजरकर यहां जाने में आपको समय का जरा भी एहसास नहीं होगा। प्रकृति के खूबसूरत नजारों के बीच आप यहां कैसे पहुंच गए, इसका आपको आभास भी नहीं होगा। प्लेन या हवाई मार्ग से आने पर भी आपको पहले पुणे आना होगा। फिर बस, टैक्सी या अपनी गाड़ी से यहां पहुंचना होगा। पुणे से यहां के लिए राज्य परिवहन निगम MSRTC की अच्छी बस सेवा उपलब्ध है। सुबह साढ़े 6 बजे से ही बस मिलनी शुरू हो जाती है।
कहां ठहरें?
पहाड़ी और जंगल का इलाका होने के कारण यहां ठहरने की सुविधा काफी कम है। भीमाशंकर बस स्टैंड के पास होटल में कुछ कमरे उपलब्ध हैं। अगर पहले से कमरा बुक करा लेते हैं तो सही रहेगा। या फिर अगर रात में रुकने का मन है तो भीमाशंकर पहुंचने के साथ ही सबसे पहले कमरा बुक करा लें। एडवांस में बुक करा लेंगे तो परेशानी नहीं होगी। पास में ठहरने के लिए सरकारी सुविधा उपलब्ध है, लेकिन वो वहां के करीब 10-12 किलोमीटर दूर है। मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित गांव-कस्बों और इलाकों में छोटे लॉज, होटल और धर्मशालाएं हैं। अगर पुणे से बाहर से आ रहे हैं और मंदिर के आसपास रहने का कोई स्थान नहीं मिलता है, तो वापस पुणे जाना बेहतर रहेगा।
क्या खाएं?
भीमाशंकर मंदिर के पास शाकाहारी भोजन की कई छोटी-छोटी दुकानें हैं। आप यहां स्थानीय थाली, पोहा, वड़ा-पाव, मिसल-पाव जैसे लोकल फूड ट्राई कर सकते हैं। यहां साउथ इंडियन डोसा, उपमा, इडली और बडा सांभर का भी आनंद ले सकते हैं। वैसे आप अपने साथ भी पहले से कुछ हल्का नाश्ते का सुखा सामान जरूर रखें, जिससे कि जरूरत पड़ने पर कुछ खा-पी सके। महाशिवरात्रि या पर्व-त्योहार के दिनों में यहां काफी भीड़ रहती है। शनिवार- रविवार को भी यहां काफी लोग आते हैं। पहाड़ी पर स्थित इस छोटे इलाके में ज्यादा लोग आने पर आपको खाने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। ऐसे में पास में कुछ नमकीन-स्नैक्स, ड्राई फ्रुट्स होंगे तो राहत मिलेगी। अपने साथ पानी का बोतल भी जरूर रखें।
कब जाएं?
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दर्शन करने के लिए जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है। इस समय यहां का मौसम बड़ा सुहावना रहता है। मार्च के बाद गर्मी काफी लगने लगती है। दिन में यहां चलना मुश्किल हो जाता है। इसके बाद मानसून के समय पहाड़ी इलाके में बारिश के कारण फिसलन बढ़ जाती है। इससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। वैसे सावधानी से साथ जाया जाए तो इस समय प्रकृति की एक अलग ही खूबसूरती देखने को मिलती है। बारिश में कई झरने देखने को मिल जाएंगे। इसके साथ ही यहां शिवरात्रि और सावन के महीने में काफी भीड़ रहती है। शनिवार, रविवार और पर्व त्योहार के साथ शिवरात्रि, महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां दर्शन के लिए लंबी लाइन लगती है।
इन बातों का ध्यान रखें
पहाड़ी और जंगल से भरा इलाका होने के कारण आप यहां की प्रकृति का आनंद लेना का भूलें। भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य में नेचर वॉक का आनंद ले सकते हैं। लेकिन पहाड़ी-पथरीला इलाका होने के कारण महिलाओं और बच्चों के साथ बुजुर्गों के मंदिर के अलावा अन्य जगह जाने में परेशानी हो सकती है। यहां आते वक्त अपने साथ खाने-पीने का ह्ल्का सामान जरूर रखें। साथ ही ये ध्यान रखें कि आपके पास कैश यानी नकद पैसे जरूर हों। यहां नेटवर्क में दिक्कत होने के कारण आपको ऑनलाइन लेनदेन करने में परेशानी हो सकती है। मुझे खुद नेटवर्क ना होने से यूपीआई ना चलने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा। मेरे पास एयरटेल और VI (वोडाफोन) के सिम वाला फोन था जो नेटवर्क ना होने के कारण चल ही नहीं रहा था। उस समय वहां सिर्फ जिओ का चल रहा था। खाना खाने के लिए दुकानदार से ही हॉटस्पॉट का कनेक्शन लेकर पेमेंट किया और उनसे कुछ कैश भी ले लिया। आपको ये दिक्कत ना हो इसलिए कैश जरूर रखिएगा।
इन सब बातों का ध्यान रखकर आप भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा पर जाएंगे तो आध्यात्मिक शांति के साथ प्रकृति के रोमांच का भी अनुभव कर सकेंगे। यहां की हरियाली आपके मन को मोह लेगी। यहां की यात्रा आपके लिए जिंदगी भर की याद बन जाएगी।
हर हर महादेव! जय भीमाशंकर!
ब्लॉग पर आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप इस पोस्ट पर अपना विचार, सुझाव या Comment शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। -हितेन्द्र गुप्ता
Comments
Post a Comment