Skip to main content

कालकाजी मंदिर: यहां प्रकट हुई थीं मां महाकाली

दिल्ली में नेहरू प्लेस के पास माता कालका को समर्पित श्री कालकाजी मंदिर है। श्री कालकाजी मंदिर के कारण यह इलाका कालकाजी के नाम से दुनिया भर में फेमस है। यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। माता कालका मां काली देवी की अवतार हैं। श्री कालकाजी मंदिर को जयंती पीठ या मनोकामना सिद्ध पीठ भी कहते हैं। मान्यता  है कि यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

मां आदिशक्ति के काली रूप को समर्पित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसी जगह महाकाली के रूप में प्रकट होकर माता ने राक्षसों का संहार किया था। कथा है कि राक्षसों के अत्याचार से पीड़ित देवताओं ने यहीं पर शक्ति की आराधना की थी। देवताओं के कष्ट के निवारण के लिए माता पार्वती ने कौशिकी देवी को प्रकट किया। कौशिकी देवी ने राक्षसों का संहार करना शुरू किया, लेकिन रक्तबीज बच गया। तब माता पार्वती ने अपनी भृकुटी से महाकाली को प्रकट किया। महाकाली ने रक्तबीज का संहार तो कर दिया, लेकिन उनका उग्र रूप देखकर देवतागण भयभीत हो गए। इसके बाद देवताओं ने उनकी स्तुति करनी शुरू कर दी। स्तुति से प्रसन्न होकर मां काली ने वरदान दिया कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ यहां पूजा-अर्चना करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी।
बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था, लेकिन वर्तमान मंदिर का निर्माण बाबा बालक नाथ ने कराया। श्री कालकाजी मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि महाभारत के समय युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण पांडवों को लेकर यहां आए थे। श्रीकृष्णा ने यहां पांडवों  के साथ काली माता की पूजा-अर्चना की, जिससे प्रसन्न होकर माता ने उन्हें विजयी होने का वरदान दिया।
श्री कालकाजी मंदिर का गर्भगृह 12 तरफा है, यानी मुख्य मंदिर में 12 द्वार है। ये 12 द्वार 12 महीनों और 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हर राशि का अपना एक द्वार है। बताया जाता है कि पहले श्रद्धालु राशि के द्वार के हिसाब से मंदिर में प्रवेश करते थे और पूजा-अर्चना करते थे। मंदिर के हर द्वार के पास माता के अलग-अलग रूपों का चित्रण किया गया है। 12 राशियों के प्रतिनिधित्व करने के कारण ग्रहण के समय यहां विपरित असर नहीं पड़ता और मंदिर के कपाट खुले रहते हैं।
लोटस टेंपल के पास इस प्राचीन मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए दूर- दूर से लोग आते हैं। नवरात्र के अवसर पर यहां प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं। दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लग जाती है। इस समय मंदिर को काफी सुंदर तरीके से सजाया जाता है। मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है। श्री कालकाजी मंदिर में अखंड दीप प्रज्जवलित है और प्रथम नवरात्र के दिन लोग यहां से माता की जोत अपने घर लेकर जाते हैं।
नजदीकी स्थल-

श्री कालकाजी मंदिर के पास ही लोटल टेंपल है। यहां दर्शन के साथ ही आप प्राचीन भैरों मंदिर और कैलाश शिव मंदिर भी जा सकते हैं। इसके साथ ही पास में ही है इस्कॉन मंदिर। आप यहां भी दर्शन कर सकते हैं।

कैसे पहुंचें?
दिल्ली में होने के कारण आप देश के किसी भी हिस्से से यहां आसानी से आ सकते हैं।

मेट्रो से-
कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन मंदिर का सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन है। यहां से आप पैदल मंदिर पहुंच सकते हैं।

बस से-
नेहरू प्लेस नजदीकी बस अड्डा है। यहां से दिल्ली के किसी भी इलाके सा आ सकते हैं।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से-
श्री कालकाजी मंदिर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से आप बस, मेट्रो, ऑटो या टैक्सी से आ सकते हैं।

एयरपोर्ट से-
श्री कालकाजी मंदिर इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से करीब 17 किलोमीटर दूर है। यहां से भी आप बस, मेट्रो, ऑटो या टैक्सी से पहुंच सकते हैं।
सभी फोटो श्री कालकाजी मंदिर
कब पहुंचे-

श्री कालकाजी मंदिर दिल्ली में है और यहां गर्मी के साथ सर्दी भी जबरदस्त पड़ती है। इसलिए यहां फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच आना घूमने के लिए अच्छा रहता है।


ब्लॉग पर आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप इस पोस्ट पर अपना विचार, सुझाव या Comment शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। 

-हितेन्द्र गुप्ता

Comments

Popular posts from this blog

Rajnagar, Madhubani: खंडहर में तब्दील होता राजनगर का राज कैंपस

राजनगर का ऐतिहासिक राज कैंपस खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। बिहार के मधुबनी जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह राज कैंपस राज्य सरकार की अनदेखी के कारण उपेक्षित पड़ा हुआ है। यह कैंपस इंक्रीडेबल इंडिया का एक बेहतरीन उदाहरण है। यहां के महल और मंदिर स्थापत्य कला के अद्भूत मिसाल पेश करते हैं। दीवारों पर की गई नक्काशी, कलाकारी और कलाकृति देखकर आप दंग रह जाएंगे।

अहिल्या स्थान: जहां प्रभु राम के किया था देवी अहिल्या का उद्धार

मिथिला में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है अहिल्या स्थान। हालांकि सरकारी उदासीनता के कारण यह वर्षों से उपेक्षित रहा है। यहां देवी अहिल्या को समर्पित एक मंदिर है। रामायण में गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या का जिक्र है। देवी अहिल्या गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थीं। जिनका भगवान राम ने उद्धार किया था। देश में शायद यह एकमात्र मंदिर है जहां महिला पुजारी पूजा-अर्चना कराती हैं।

उत्तर प्रदेश के वे टॉप 10 पर्यटन स्थल, जहां गए बिना आपकी यात्रा नहीं होगी पूरी

उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां सालों भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। उत्तर प्रदेश काफी खूबसूरत राज्य है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। भगवान राम की नगरी अयोध्या, भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन से लेकर भगवान बुद्ध से संबंधित सारनाथ और कुशीनगर जैसे धार्मिक स्थलों पर हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। महादेव की नगरी काशी, कुंभनगरी प्रयागराज से लेकर प्रेम प्रतीक की नगरी आगरा जैसे पर्यटक स्थल घुमक्कड़ों के लिए पसंदीदा डेस्टिनेशन बने हुए हैं। नजाकत, नफासत और तहजीब के शहर लखनऊ गए बिना तो जैसे आपकी यात्रा पूरी ही नहीं होगी। सभी फोटो- यूपी टूरिज्म नए साल में लोग फिर से घर से बाहर निकला शुरू कर दिए हैं। वे नई-नई जगहों पर जा रहे हैं तो ऐसे में आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश के उन टॉप 10 पर्यटन स्थलों के बारे में जहां आप देश के किसी भी कोने से आसानी से पहुंच सकते हैं। 1. वाराणसी बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी को बनारस या काशी के नाम से भी जानते हैं। काशी दुनिया की सबसे प्राचीन जीवंत नगरी के रूप में विख्यात है। पवित्र गंगा नदी के किनारे बसे का...

ये हैं दिल्ली के टॉप 10 पर्यटक स्थल, नए साल में आप भी घूम आइए

दिल्ली देश की राजधानी है। यहां हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटक आते हैं। दिल्ली में इंडिया गेट, लाल किला, कुतुब मीनार सहित कई पर्यटक स्थल हैं। यहां सालों भर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। अब जब कोरोना संकट के बाद लोग एक बार फिर से बाहर घूमने-फिरने के लिए निकलने लगे हैं तो दिल्ली में एक बार

Contact Us

Work With Me FAM Trips, Blogger Meets या किसी भी तरह के collaboration के लिए guptahitendra [at] gmail.com पर संपर्क करें। Contact me at:- Email – guptagitendra [@] gmail.com Twitter – @GuptaHitendra Instagram – @GuptaHitendra Facebook Page – Hitendra Gupta

जल मंदिर पावापुरी: भगवान महावीर का निर्वाण स्थल, जहां उन्होंने दिया था पहला और अंतिम उपदेश

जल मंदिर पावापुरी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। भगवान महावीर को इसी स्थल पर मोक्ष यानी निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म के लोगों के लिए यह एक पवित्र शहर है। बिहार के नालंदा जिले में राजगीर के पास पावापुरी में यह जल मंदिर है। यह वही जगह है जहां भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला और आखिरी उपदेश दिया था। भगवान महावीर ने इसी जगह से विश्व को अहिंसा के साथ जिओ और जीने दो का संदेश दिया था।

Birla Temple Delhi: बिरला मंदिर, दिल्ली- जहां जाति-धर्म के नाम पर नहीं होता किसी से कोई भेदभाव

दिल वालों की दिल्ली में एक ऐसा मंदिर है जहां जाति-धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर को देश-दुनिया के लोग बिरला मंदिर के नाम से जानते हैं।

संसद भवन- आप भी जा सकते हैं यहां घूमने

देश के लोकतंत्र का मंदिर है देश का संसद भवन। यह दुनियाभर में सबसे आकर्षक संसद भवन है। इस भवन में देश की संसदीय कार्यवाही होती है। देश भर के लोकसभा के लिए चुने गए प्रतिनिधि यहीं पर चर्चा करते हैं और कानून बनाने का काम करते हैं। संसद सत्र के समय लोकसभा और राज्यसभा दोनों सनद के सदस्य कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं।

World Peace Pagoda, Vaishali: विश्व को शांति का संदेश देता वैशाली का विश्व शांति स्तूप

वैशाली का विश्व शांति स्तूप आज भी विश्व को शांति का संदेश दे रहा है। लोकतंत्र की जननी वैशाली ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है। यहां जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली बासोकुंड यानी कुंडलपुर है। अशोक का लाट यानी अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और सबसे प्रमुख जापान की ओर बनवाया गया विश्व शांति स्तूप है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: जहां प्रतिदिन शयन करने आते हैं भोलेनाथ महादेव

हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है और ओंकारेश्वर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में चौथा है। मध्यप्रदेश में 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर- ममलेश्वर महादेव के रूप में। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग इंदौर से 77 किलोमीटर पर है। मान्यता है कि सूर्योदय से पहले नर्मदा नदी में स्नान कर ऊं के आकार में बने इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां भगवान शिव के दर्शन से सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।