दिल्ली के बीचोंबीच कनॉट प्लेस के पास बना है अग्रसेन की बावली। कनॉट प्लेस और इंडिया गेट के बीच कस्तुरबा गांधी मार्ग पर हेली रोड के पास स्थित यह अग्रसेन की बावली बेहद ही खूबसूरत जगह है, लेकिन यह जानकर आपको ताज्जुब होगा कि दिल्ली के कई लोग इस बावली के बारे में नहीं जानते हैं। वैसे इक्का-दुक्का अप्रिय घटनाओं के कारण कुछ लोग इसे हॉन्टेड प्लेस भी कहते हैं।
यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा एक संरक्षित स्थल हैं। लाल बलुए पत्थर से बना यह बावली दिल्ली की बेहतरीन बावलियों में से एक है। पुराने जमाने में पानी बचाने या जमा करने के लिए इसका निर्माण किया जाता था। यह भी कह सकते हैं कि बावलियों का निर्माण पहले आमतौर पर जल संग्रह या जल संरक्षण के लिए किया जाता था। बावली को आप डिजाइनर कुआं भी कह सकते हैं।
अग्रसेन की बावली उत्तर से दक्षिण की ओर करीब 60 मीटर लंबी है। इसकी गहराई 15 मीटर है, यह भी कह सकते है कि यह बावली 15 मीटर ऊंची है। इसके बनाए जाने को लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं, लेकिन इसका जीर्णोद्धार अग्रवाल समाज के महाराजा अग्रसेन ने कराया था। उनके नाम पर ही इसे अग्रसेन या उग्रसेन की बावली से जाना जाता है। बावली के बाहर लगे शिलापट पर इसका नाम 'उग्रसेन की बावली' लिखा हुआ है।
बावली के नीचे जाने के लिए 100 से ज्यादा सीढ़ियां है। अग्रसेन की बावली अब भी काफी अच्छी स्थिति में है। यहां कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। यहां लोगों ने बताया कि पीके फिल्म की भी कुछ शूटिंग यहां हुई थी। इन सीढ़ियों पर आपको फिल्मी स्टाइल में प्रेमी जोड़े एक दूसरे से लिपटे मिल जाएंगे।
कैसे पहुंचे यहां-
यहां दिल्ली के किसी भी इलाके से पहुंचना काफी आसान है। यह कनॉट प्लेस के पास कस्तुरबा गांधी मार्ग पर हेली रोड के पास है। यहां आप बाराखंबा मेट्रो स्टेशन या जनपथ मेट्रो स्टेशन से पैदल या ऑटो से आसानी से आ सकते हैं। आप यहां सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे के बीच कभी भी आ सकते हैं।
FAM Trips, Blogger Meets, Product Launch Events, Product Review या किसी भी तरह का collaboration के लिए guptahitendra [at] gmail.com पर संपर्क करें।
ब्लॉग पर आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप इस पोस्ट पर अपना विचार, सुझाव या Comment शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। धन्यवाद...
यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा एक संरक्षित स्थल हैं। लाल बलुए पत्थर से बना यह बावली दिल्ली की बेहतरीन बावलियों में से एक है। पुराने जमाने में पानी बचाने या जमा करने के लिए इसका निर्माण किया जाता था। यह भी कह सकते हैं कि बावलियों का निर्माण पहले आमतौर पर जल संग्रह या जल संरक्षण के लिए किया जाता था। बावली को आप डिजाइनर कुआं भी कह सकते हैं।
अग्रसेन की बावली उत्तर से दक्षिण की ओर करीब 60 मीटर लंबी है। इसकी गहराई 15 मीटर है, यह भी कह सकते है कि यह बावली 15 मीटर ऊंची है। इसके बनाए जाने को लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं, लेकिन इसका जीर्णोद्धार अग्रवाल समाज के महाराजा अग्रसेन ने कराया था। उनके नाम पर ही इसे अग्रसेन या उग्रसेन की बावली से जाना जाता है। बावली के बाहर लगे शिलापट पर इसका नाम 'उग्रसेन की बावली' लिखा हुआ है।
बावली के नीचे जाने के लिए 100 से ज्यादा सीढ़ियां है। अग्रसेन की बावली अब भी काफी अच्छी स्थिति में है। यहां कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। यहां लोगों ने बताया कि पीके फिल्म की भी कुछ शूटिंग यहां हुई थी। इन सीढ़ियों पर आपको फिल्मी स्टाइल में प्रेमी जोड़े एक दूसरे से लिपटे मिल जाएंगे।
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यहां दिल्ली के किसी भी इलाके से पहुंचना काफी आसान है। यह कनॉट प्लेस के पास कस्तुरबा गांधी मार्ग पर हेली रोड के पास है। यहां आप बाराखंबा मेट्रो स्टेशन या जनपथ मेट्रो स्टेशन से पैदल या ऑटो से आसानी से आ सकते हैं। आप यहां सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे के बीच कभी भी आ सकते हैं।
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