सालासर धाम में श्री बालाजी के मंदिर में रोज भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंगलवार, शनिवार और छुट्टी के दिन यहां भगवान बालाजी के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से से आते हैं। चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती, आश्विन पूर्णिमा और राम नवमी के दिन यहां पर कुछ ज्यादा ही भीड़ रहती है।
फोटो सौजन्य |
श्री बालाजी सालासर धाम मंदिर के बारे में बताया जाता है कि बाबा मोहनदास जी महाराज ने इस मंदिर की स्थापना की थी। बाबा मोहनदास जी की भक्ति से प्रसन्न होकर आसोटा गांव में हनुमान जी प्रकट हुए थे। बाबा मोहनदास जी ने आसोटा से मूर्ति को लाकर सालासर में सन 1754 में शुक्ल नवमी को शनिवार के दिन प्राण प्रतिष्ठा की थी। मंदिर के द्वार और दीवारें चांदी से बनी मूर्तियों और चित्रों से सुसज्जित हैं। यहां भगवान श्री बाला जी को चूरमे का भोग लगाया जाता है।
बाबा मोहनदास जी ने उसी समय मंदिर परिसर में धुनी जलाई थी, जिसकी अखंड ज्योति आज भी जल रही है। मंदिर परिसर में पिछले कई साल से यहां रामायण का अखण्ड पाठ और कीर्तन भी चल रहा है। मान्यता है कि श्री बालाजी यहां आने वाले हर व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। दूर-दूर से लोग यहां अपनी कामना को लेकर आते हैं और खुशी-खुशी जाते हैं। यहां पास ही एक प्राचीन पेड़ है, जहां लोग अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए नारियल बांध देते हैं।
अंजनी माता का मंदिर
श्री बालाजी सालासर धाम मंदिर से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर अंजनी माता का मंदिर है। इस मंदिर में श्री बालाजी बाल रूप में अंजनी माता की गोद में बैठे हुए हैं। यहां महिलाएं अपने सुखद- सफल वैवाहिक जीवन के लिए नारियल और सुहाग चिन्ह चढ़ाती हैं।
फोटो सौजन्य |
श्री बालाजी सालासर धाम आप बस या अपनी गाड़ी से देश के किसी भी हिस्से से आसानी से पहुंच जाएंगे। दिल्ली से करीब 300 किलोमीटर दूर है। नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर ही है, जो करीब पौने दो सौ किलोमीटर दूर है। रेलवे की बात करें तो नजदीकी रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ 25 किलोमीटर और सीकर 55 किलोमीटर दूर है। लक्ष्मणगढ़ यहां से 32 किलोमीटर दूर है। श्री खाटू श्याम जी जाने वाले भक्त यहां भी आते हैं या फिर यहां आने वाले श्रद्धालु वहां भी दर्शन कर लेते हैं।
सालासर में रहने के लिए श्री खाटू श्याम की तरह ही दर्जनों धर्मशालाएं हैं। ज्यादातर में रुकने की व्यवस्था निशुल्क है। सभी तरह के होटल और रेस्त्रां भी यहां आपको मिल जाएंगे। यहां खाने-पीने की भी बहुत बढ़िया व्यवस्था है। आप यहां राजस्थानी खानपान का आनंद उठा सकते हैं। यहां आने वाले लोग मंदिर के पास कढ़ी-पकौड़ा जरूर खाते हैं। आप यहां से मिठाई के अलावा नमकीन, अचार और मसाले भी ले जा सकते हैं।
ब्लॉग पर आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप इस पोस्ट पर अपना विचार, सुझाव या Comment शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। धन्यवाद...
सालासर बालाजी, श्री सालासर बालाजी राजस्थान, Sri Salasar Balaji temple,
Sri Salasar Bajaji tour, Rajasthan tourism, Balaji temple salasar,
salasar tour, सालासर बालाजी कैसे जाएं
Comments
Post a Comment