Skip to main content

यमुनोत्री: जहां स्नान और दर्शन से यम भी होते हैं खुश

यमुनोत्री यानी यमुना नदी का उद्गम स्थल। गंगा के बाद देश की दूसरी सबसे पवित्र और पूज्य नदी यमुना उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्यटक और तीर्थ स्थल है। समुद्र तट से करीब 3293 यमुनोत्री पहाड़ के चार धाम में से एक है। हिमालय की चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से ही होती है। इस साल 2021 में भी सबसे पहले 14 मई को यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे फिर 15 मई को गंगोत्री धाम मंदिर के कपाट खुलेंगे। केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई को और बद्रीनाथ के कपाट 18 मई को खोले जाएंगे।
चारधाम यात्रा का पूरा फल पाने के लिए यमुनोत्री धाम की यात्रा करने के बाद ही गंगोत्री धाम की यात्रा करनी चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना सूर्य देवता की पुत्री होने के साथ यमराज और शनिदेव की बहन हैं। बताया जाता है कि यहां पवित्र यमुना नदी में स्नान कर पास के खरसाली में शनिदेव मंदिर में पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। यह भी माना जाता है कि यहां स्नान करने से असामयिक मृत्यु नहीं होती है। इसके साथ ही यहां दिव्यशिला, सूर्यकुंड और विष्णुकुंड के दर्शन मात्र से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है।
यमुना नदी का उद्गम स्थल मंदिर से करीब एक किलोमीटर आगे हिमनद या चंपासर ग्लेशिर में है। यहां जाने का रास्ता काफी दुर्गम है। यहां तक पहुंचना काफी मुश्किल है। इसलिए यमुना देवी मंदिर का निर्माण पहाड़ी के तल पर किया गया। चारों ओर से पहाड़ों से घिरा यह जगह काफी सुंदर और मनमोहक है। यहां आपके मन को एक अलग ही शांति मिलती है। यमुनोत्री हिमनद से निकलकर करीब 10 किलोमीटर दूर सप्तऋषि कुंड में गिरती है फिर यहां से यमुना नदी के रूप में प्रवाहित होती हैं।
मंदिर के दोनों तरफ दो कुंड हैं- सूर्य कुंड और गौरी कुंड। सूर्य कुंड गर्म पानी का स्रोत है। श्रद्धालु यहां पोटली में चावल और आलू रखकर कुंड के गर्म पानी में डालते हैं। गर्म पानी में पके इन चावल और आलू को मंदिर में चढ़ाते हैं। इस प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। तीर्थयात्री या पर्यटक यहां से करीब 6-7 किलोमीटर पहले जानकीचट्टी तक अपनी गाड़ी या टैक्सी से आते हैं। फिर यहां से पैदल यमुनोत्री धाम तक पैदल, पालकी या टट्टुओं से पहुंचते हैं। पहाड़ों से घिरे जानकीचट्टी से ही एक तरह से यमुनोत्री की यात्रा शुरू होती है।
जानकीचट्टी से पहले लोग यमुनोत्री के लिए हनुमान चट्टी से पैदल यात्रा शुरू करते थे। तब श्रद्धालुओं को करीब 13-14 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। अब सड़क बनने से सुविधा हो गई है। यहां पर्यटक भगवान हनुमान का दर्शन करते हैं। यहां पर श्रद्धालुओं के रहने और खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था रहती है।

यमुनोत्री से करीब 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित है-बरकोट। यहां आप गंगा और यमुना दोनों पवित्र नदियों का जल प्राप्त कर सकते हैं। यहां का दृश्य बहुत ही दिव्य है। मन यहां से आने का नहीं करता है। आप यहां कुछ समय जरूर बिताना चाहेंगे। पर्यटक यहां ट्रेकिंग करने भी आते हैं।
कैसे पहुंचे-
सड़क मार्ग से यमुनोत्री जाने के लिए आपको ऋषिकेश (200 किमी), हरिद्वार (250 किमी), देहरादून (200 किमी) और उत्तरकाशी (130 किमी) से टैक्सी या बस लेनी होगी। रेल से आने पर आपको देहरादून या ऋषिकेश आकर फिर यहां से सड़क मार्ग से यमुनोत्री जाना होगा। यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है।

कब पहुंचे-
यहां आने के लिए सबसे बढ़िया मौसम अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का है।

यह पोस्ट #BlogchatterA2Z 2021 चैलेंज के तहत लिखा गया है। आप भी इस ब्लॉगचैटरएटूजेड चैलेंज में हिस्सा ले सकते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए क्लिक करें- Blogchatter

ब्लॉग पर आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप इस पोस्ट पर अपना विचार, सुझाव या Comment शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। 

-हितेन्द्र गुप्ता

Comments

Popular posts from this blog

अहिल्या स्थान: जहां प्रभु राम के किया था देवी अहिल्या का उद्धार

मिथिला में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है अहिल्या स्थान। हालांकि सरकारी उदासीनता के कारण यह वर्षों से उपेक्षित रहा है। यहां देवी अहिल्या को समर्पित एक मंदिर है। रामायण में गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या का जिक्र है। देवी अहिल्या गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थीं। जिनका भगवान राम ने उद्धार किया था। देश में शायद यह एकमात्र मंदिर है जहां महिला पुजारी पूजा-अर्चना कराती हैं।

Rajnagar, Madhubani: खंडहर में तब्दील होता राजनगर का राज कैंपस

राजनगर का ऐतिहासिक राज कैंपस खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। बिहार के मधुबनी जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह राज कैंपस राज्य सरकार की अनदेखी के कारण उपेक्षित पड़ा हुआ है। यह कैंपस इंक्रीडेबल इंडिया का एक बेहतरीन उदाहरण है। यहां के महल और मंदिर स्थापत्य कला के अद्भूत मिसाल पेश करते हैं। दीवारों पर की गई नक्काशी, कलाकारी और कलाकृति देखकर आप दंग रह जाएंगे।

Contact Us

Work With Me FAM Trips, Blogger Meets या किसी भी तरह के collaboration के लिए guptahitendra [at] gmail.com पर संपर्क करें। Contact me at:- Email – guptagitendra [@] gmail.com Twitter – @GuptaHitendra Instagram – @GuptaHitendra Facebook Page – Hitendra Gupta

अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली: जहां जाने पर आपको मिलेगा स्वर्गिक आनंद

दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित स्वामीनारायण मंदिर अपनी वास्तुकला और भव्यता के लिए दुनियाभर में मशहूर है। करीब 100 एकड़ में फैला यह अक्षरधाम मंदिर दुनिया के सबसे बड़े मंदिर परिसर के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल है। यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। इस मंदिर को बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) की ओर से बनाया गया है। इसे आम भक्तों- श्रद्धालुओं के लिए 6 नवंबर, 2005 को खोला गया था।

World Peace Pagoda, Vaishali: विश्व को शांति का संदेश देता वैशाली का विश्व शांति स्तूप

वैशाली का विश्व शांति स्तूप आज भी विश्व को शांति का संदेश दे रहा है। लोकतंत्र की जननी वैशाली ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है। यहां जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली बासोकुंड यानी कुंडलपुर है। अशोक का लाट यानी अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और सबसे प्रमुख जापान की ओर बनवाया गया विश्व शांति स्तूप है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: जहां प्रतिदिन शयन करने आते हैं भोलेनाथ महादेव

हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है और ओंकारेश्वर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में चौथा है। मध्यप्रदेश में 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर- ममलेश्वर महादेव के रूप में। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग इंदौर से 77 किलोमीटर पर है। मान्यता है कि सूर्योदय से पहले नर्मदा नदी में स्नान कर ऊं के आकार में बने इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां भगवान शिव के दर्शन से सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

उज्जैन- पृथ्वी का नाभि स्थल है महाकाल की यह नगरी

उज्जैन यानी उज्जयिनी यानी आदि काल से देश की सांस्कृतिक राजधानी। महाकाल की यह नगरी भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली रही है। मध्य प्रदेश के बीचोंबीच स्थित धार्मिक और पौराणिक रूप से दुनिया भर में प्रसिद्ध उज्जैन को मंदिरों का शहर भी कहते हैं।

जल मंदिर पावापुरी: भगवान महावीर का निर्वाण स्थल, जहां उन्होंने दिया था पहला और अंतिम उपदेश

जल मंदिर पावापुरी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। भगवान महावीर को इसी स्थल पर मोक्ष यानी निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म के लोगों के लिए यह एक पवित्र शहर है। बिहार के नालंदा जिले में राजगीर के पास पावापुरी में यह जल मंदिर है। यह वही जगह है जहां भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला और आखिरी उपदेश दिया था। भगवान महावीर ने इसी जगह से विश्व को अहिंसा के साथ जिओ और जीने दो का संदेश दिया था।

About Us

Hitendra Gupta घुमक्कड़, ट्रेवल ब्लॉगर, मीडिया प्रोफेशनल और प्रकृति प्रेमी शाकाहारी मैथिल

हिंद-इस्लामी वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण शेरशाह सूरी का मकबरा

शेरशाह सूरी का मकबरा बिहार रोहतास जिले के सासाराम में है। शेरशाह का यह मकबरा एक विशाल सरोवर के बीचोंबीच लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। शेरशाह ने अपने जीवनकाल में ही इस मकबरे का निर्माण शुरू कर दिया था, लेकिन पूरा उसके मृत्यु के तीन महीने बाद ही हो पाया। शेरशाह की मौत 13 मई, 1545 को कालिंजर किले में हो गई थी और मकबरे का निर्माण 16 अगस्त, 1545 को पूरा हुआ। शेरशाह के शव को कालिंजर से लाकर यहीं दफनाया गया था। इस मकबरे में 24 कब्रें हैं और शेरशाह सूरी की कब्र ठीक बीच में है।