अहमदाबाद... पहली बार वर्डप्रेस के वर्डकैंप आयोजन के कारण यहां जाने का मौका मिला। यहां के लोगों ने जिस तरह मेजबानी की, वह हमेशा याद रखेने लायक है। सिर्फ तीन में अहमदाबाद के लोगों ने मेरा दिल जीत लिया। यहां एक बार आने के बाद यह जरूर है कि आप इस शहर में बार-बार आना चाहेंगे।
अहमदाबाद यूनेस्को का भारत में पहला विश्व विरासत शहर है। गांधीनगर से पहले 1970 तक गुजरात की राजधानी रहा यह शहर खाने-पीने के शौकिनों के लिए भी एक तरह से जन्नत है। शाम को यहां की गलियां खाने-पीने वाले लोगों से भरी रहती है और मुझे तो लगा कि वीकेंड पर शायद ही कोई अपने घर पर खाता हो। शनिवार-रविवार को यहां किसी भी होटल, रेस्त्रां या स्ट्रीट फूड वालों के यहां जगह नहीं होती है। हर जगह भीड़ लगी रहती है।
साबरमती आश्रम
अहमदाबाद राष्ट्रपति महात्मा गांधी के आजादी की लड़ाई के समय एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। बापू ने अहमदाबाद में साबरमती किनारे अपना आश्रम बनाया था। बापू के उस समय का सत्याग्रह आश्रम अब साबरमती आश्रम के रूप में मशहूर है। करीब 36 एकड़ में फैले इस आश्रम का कोना-कोना बापू की याद दिलाता है। आश्रम में प्रवेश करते ही शरीर के अंदर एक अलग ही रोमांच पैदा होने लगता है।
बापू ने यहीं से नमक सत्याग्रह के रूप में दांडी मार्च शुरू किया था। आश्रम में एक म्यूजियम है। इस म्यूजियम में राष्ट्रपिता से संबंधित सैकड़ों चीजें और दस्तावेज रखे गए हैं। यहां गांधीजी के पत्रों का संग्रह भी है। यहां आपको बापू से जुड़ी कई बातें पहली बार जानने-समझने को मिलेंगी। बापू करीब 12 साल इस आश्रम में रहे थे। यहां म्यूजियम के साथ एक लाइब्रेरी और किताब की दुकान के साथ एक खादी स्टोर भी हैं। यहां से आप किताबें या खादी प्रोडक्ट खरीद सकते हैं।
आश्रम में हृदय कुंज, विनोबा-मीरा कुटीर, उपासना मंदिर है। यहां खादी सूत कातने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। आश्रम के साबरमती नदी किनारे रिवरफ्रंट भी बना हुआ है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग प्रधानमंत्री मोदी के साथ यहां आए थे। आश्रम से लगे रिवरफ्रंट को आमतौर पर आम लोगों के लिए बंद रखा जाता है। इसके सामने दूसरे किनारे पर बने रिवरफ्रंट पर शाम को रौनक देखते ही बनती है।
कांकरिया लेक
आजकल अहमदाबाद आने वाले पर्यटकों के बीच सबसे लोकप्रिय जगह है कांकरिया लेक। करीब दो किलोमीटर तक 76 एकड़ में फैली इस झील के चारों ओर वीकेंड के दौरान पैर रखने की भी जगह नहीं होती है। लगता है जैसे सारा अहमदाबाद यहीं उमड़ पड़ा है। लोग शाम में इसके चारों ओर घूमते हैं और समय बिताते हैं। एक तरह से कह सकते हैं कि परिक्रमा करते हैं। लेक के चारों ओर सीढ़ियां बनी हुई हैं और यहां एक साथ सैकड़ों मछलियों को देखकर मन खुश हो जाता है। यहां आप वाटर बैलून का आनंद लेने के साथ मोटर वोट राइड भी कर सकते हैं।
यहां आप ट्वॉय ट्रेन के साथ हवा में बैलून सफारी का आनंद ले सकते हैं। यहां एक तितली पार्क भी है जहां सैकड़ों तरह की तितलियों को देख सकते हैं। इस कांकरिया झील के बीच में एक टापू टाइप बनाया गया है। आप इस लेक में वोट राइड का आनंद लेकर शाम में चारों ओर लगे इटिंग ज्वाइंट्स में सभी तरह के खाने-पीने का लुत्फ उठा सकते हैं। इस लेक के पास एक चिड़ियाघर भी है।
हठीसिंह जैन मंदिर
अहमदाबाद जाने वाले पर्यटक हाथीसिंह जैन मंदिर देखने भी जाते हैं। सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर अपनी नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। इसका मुख्य मंदिर जैन धर्म के तीर्थंकरों के 52 छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है।
फोटो- अतुल्य भारत |
पर्यटकों के बीच अहमदाबाद स्थित सीदी सैयद की मस्जिद भी काफी लोकप्रिय है। यह मस्जिद अपनी वास्तुकला के लिए दुनिया भर में मशहूर है। मस्जिद के भीतर नक्काशीदार-झिरीदार खिड़कियां बनी हुई हैं। यहां आने वाले लोग इस खिड़की की फोटो जरूर लेते हैं।
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कैसे पहुंचे-
अहमदाबाद रेल, सड़क और वायु मार्ग से देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। आप देश के किसी भी इलाके से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। लोकल शहर में घूमने के लिए यहां ऑटो-टैक्सी की अच्छी व्यवस्था है। लोकल ट्रांसपोर्ट से भी शहर के प्रमुख जगहों को देख सकते हैं।
कब पहुंचे-
अहमदाबाद में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है। इसलिए यहां गर्मी में जाने से बचना चाहिए। फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर तक यहां घूमने का बेस्ट टाइम रहता है। नवरात्र के समय यहां जाना काफी अच्छा रहता है।
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-हितेन्द्र गुप्ता
बहुत अच्छे। क्या navrangpura market जाने का मौका मिला? रात के 3 बजे भी यहां अच्छी खासी भीड़ होती थी जब मैं वहां गया था, 1988 में। और law Garden (love Garden)?
ReplyDeleteLaw Garden तो नहीं नवरंगपुरा जाने का मौका मिला... अपना विचार रखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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