Skip to main content

श्रावण महीने में कांवड़ों की धूम देखनी है तो यहां जाएं

इस साल 25 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है। सावन यानी श्रावण का महीना हिंदू धर्म के लोगों के लिए काफी खास है। श्रावण के महीने में करोड़ों हिंदू श्रद्धालु कांवड़ लेकर बाबा के धाम जाते हैं। इस महीने कांवड़ों की धूम रहती है। कुंभ के तरह ही उनकी कांवड़ यात्रा के लिए सरकार की ओर से काफी इंतजाम किए जाते हैं। सरकार की ओर से पूरा ख्याल रखा जाता है कि गंगाजल लेकर आने वाले कांवड़ियों को कोई परेशानी ना हो।



श्रावण में गंगोत्री, हरिद्वार, गढ़मुक्तेसर, गंगासागर, कोलकाता, काशी, सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर किसी प्रमुख मंदिर या अपने घर के पास के शिवमंदिर में चढ़ाने की परंपरा रही है। लेकिन श्रद्धालु अब श्रावण में सभी ज्योतिर्लिंगों के साथ सभी प्रमुख शिवालयों में कांवड़ लेकर जल चढ़ाने पहुंचने लगे हैं। वैसे देश में दो कांवड़ यात्रा काफी प्रसिद्ध है- एक हरिद्वार से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा और दूसरी बिहार के सुल्तानगंज से।
हरिद्वार से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा में उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के श्रद्धालु हर की पौड़ी पर स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना कर गंगाजल लेकर अपने घर के पास स्थित शिवालय की ओर पैदल निकलते हैं। केसरिया और रंग-बिरंगे कपड़ों में भक्तों की टोली गाजे-बाजे के साथ कांवड़ लेकर निकलती है। बहुत ही दिव्य दृश्य रहता है। चारों ओर भक्तिमय माहौल बना रहता है।
हरिद्वार की तरह ही पूर्वी उत्तर प्रदेश, बंगाल और नेपाल को करोड़ों श्रद्धालु बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल भर कर झारखंड के बैद्यनाथ धाम, देवधर के लिए कांवड़ यात्रा करते हैं। सुल्तानगंज में गंगास्नान, पूजा-पाठ और अजगैबीनाथ मंदिर में दर्शन कर कांवड़ लेकर देवधर बाबाधाम के लिए निकलते हैं।
हरिद्वार और सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर कांवड़ यात्रा पर निकलने में फर्क यह है कि जहां हरिद्वार से गंगाजल लेकर निकलने वाले कांवडिए अपने घर के पास या किसी बड़े शिवालय में गंगाजल अर्पित करते हैं, वहीं सुल्तानगंज से कांवड़ लेकर चलने वाले सभी भक्त यहां से करीब 108 किलोमीटर दूर देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में जल चढ़ाते हैं। इस दौरान रास्ते भर भक्त बोलबम-बोलबम का मंत्र जाप करते रहते हैं।


इसके साथ ही हरिद्वार से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा पूरे महीने नहीं चलती, यहां सावन माह की चतुर्दशी के दिन गंगा जल से अपने घर के पास शिव मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है, जबकि सुल्तानगंज से बाबाधाम की यात्रा पूरे महीने चलती है और भक्तों की कोशिश सोमवार या प्रदोष के दिन चल चढ़ाने की होती है। इस दिन देवघर में लाखों भक्तों की भीड़ होती है जो कई किलोमीटर लंबी हो जाती है।



आमतौर पर कांवड़ यात्रा दो तरह की होती है-

सामान्य कांवड़िया
कांवड़ लेकर चलने वाले सभी सामान्य कांवड़िए होते हैं। वे बांस से बना कांवड़ लेकर यात्रा करते हैं। बांस को सबसे शुद्ध माना जाता है। बांस के बने कांवड़ के दोनो छोर पर पात्र या कलश में गंगाजल भर कर यात्रा करते हैं। गंगाजल भरने से लेकर शिव लिंग पर चढ़ाने तक कभी भी कांवड़ को नीचे जमीन पर नहीं रखा जाता है। यह नियम हर कांवड़िए के लिए है। अगर आपको नित्यकर्म या खाना-पीना है तो इसे स्टैंड की तरह बनाए गए जगह पर या किसी को कुछ देर के लिए सौंप कर किया जाता है। इसी में कई लोग तरह-तरह से अपने कांवड़ को सजाए रहते हैं जो लोगों के लिए आकर्षण का केंन्द्र होता है।


डाक कांवड़िया

डाक कांवड़िया को डाक बम भी बोला जाता है। डाक कांवड़िया गंगाजल भरने के बाद दौड़ते हुए एक तरह से मैराथन करते हुए यात्रा करते हैं। इनके लिए प्रशासन की ओर से विशेष व्यवस्था होती है। ताकी रास्ते में कोई दिक्कत ना हो। डाक बम आमतौर पर 24 से 36 घंटे के भीतर गंगाजल चढ़ाते हैं।
Rajeev Mishra Facebook
कांवड़ को लेकर क्या है मान्यता

कांवड़ यात्रा को लेकर कई तरह की मान्यताएं है। एक मान्यता यह है कि श्रावण में भगवान शिव अपने ससुराल दक्ष की नगरी हरिद्वार के कनखसल में निवास करते हैं। इसी कारण शिवभक्त कांवड़ यात्रा के लिए गंगाजल लेने हरिद्वार जाते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन से निकले विष को पीने के बाद भगवान शंकर का गला नीला पड़ गया और उनका शरीर जलने लगा। ऐसे में देवताओं ने उन पर जल अर्पित करना शुरू कर दिया। इसी के बाद से कांवड़िया जल लेकर भगवान शिव पर अर्पित करते हैं। ये भी कहा जाता है कि दशाशन रावण ने विष का प्रभाव कम करने के लिए कांवड़ से जल भरकर उनका जलाभिषेक किया जाता है।
सभी फोटो देवघर प्रशासन
कहा जाता है कि भगवान राम पहले कांवड़िया थे। उन्होंने ही सबसे पहले सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगाजल लाकर बाबाधाम में जलाभिषेक किया था।

कांवड़ से जुड़े नियम
*कांवड़ यात्रा आमतौर पर नंगे पांव की जाती है।
*यात्रा के दौरान चमड़े से बने किसी सामान का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
*कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए बोल बम या ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए चलते है। एक दूसरे को बोल बम के नाम से संबोधित भी करते है।
*कांवड़ यात्रा के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करते हैं।
*लहसुन-प्याज के साथ मांस और धूम्रपान का सेवन नहीं करते है।
*कांवड़ यात्रा से पहले स्नान करना जरूरी है। बीच में भी नित्यकर्म करने पर स्नान करने के बाद भी कांवड़ लेकर चल सकते हैं
*कांवड़ के नीचे या ऊपर से गुजरना मना रहता है।
*कांवड़ को यात्रा के दौरान कभी भी नीचे नहीं रखा जाता है। इसे स्टैंड पर रखना होता है या जरूरी होने पर कुछ देर के लिए किसी साथी को सौंपना होता है।

लोगों का मानना है कि गंगाजल के साथ कांवड़ लेकर बोलबम बोलते हुए चलने से काफी पुण्य मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके साथ ही लोगों की तीर्थ यात्रा भी होती है और उन्हें नए जगहों के बारे में जानने के साथ नए लोगों से मिलने का भी मौका मिलता है। यह पर्यटन का ही एक रूप भी है।

ब्लॉग पर आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप इस पोस्ट पर अपना विचार, सुझाव या Comment शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा। 

-हितेन्द्र गुप्ता

Comments

Popular posts from this blog

Rajnagar, Madhubani: खंडहर में तब्दील होता राजनगर का राज कैंपस

राजनगर का ऐतिहासिक राज कैंपस खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। बिहार के मधुबनी जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह राज कैंपस राज्य सरकार की अनदेखी के कारण उपेक्षित पड़ा हुआ है। यह कैंपस इंक्रीडेबल इंडिया का एक बेहतरीन उदाहरण है। यहां के महल और मंदिर स्थापत्य कला के अद्भूत मिसाल पेश करते हैं। दीवारों पर की गई नक्काशी, कलाकारी और कलाकृति देखकर आप दंग रह जाएंगे।

अहिल्या स्थान: जहां प्रभु राम के किया था देवी अहिल्या का उद्धार

मिथिला में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है अहिल्या स्थान। हालांकि सरकारी उदासीनता के कारण यह वर्षों से उपेक्षित रहा है। यहां देवी अहिल्या को समर्पित एक मंदिर है। रामायण में गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या का जिक्र है। देवी अहिल्या गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थीं। जिनका भगवान राम ने उद्धार किया था। देश में शायद यह एकमात्र मंदिर है जहां महिला पुजारी पूजा-अर्चना कराती हैं।

उत्तर प्रदेश के वे टॉप 10 पर्यटन स्थल, जहां गए बिना आपकी यात्रा नहीं होगी पूरी

उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां सालों भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। उत्तर प्रदेश काफी खूबसूरत राज्य है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। भगवान राम की नगरी अयोध्या, भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन से लेकर भगवान बुद्ध से संबंधित सारनाथ और कुशीनगर जैसे धार्मिक स्थलों पर हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। महादेव की नगरी काशी, कुंभनगरी प्रयागराज से लेकर प्रेम प्रतीक की नगरी आगरा जैसे पर्यटक स्थल घुमक्कड़ों के लिए पसंदीदा डेस्टिनेशन बने हुए हैं। नजाकत, नफासत और तहजीब के शहर लखनऊ गए बिना तो जैसे आपकी यात्रा पूरी ही नहीं होगी। सभी फोटो- यूपी टूरिज्म नए साल में लोग फिर से घर से बाहर निकला शुरू कर दिए हैं। वे नई-नई जगहों पर जा रहे हैं तो ऐसे में आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश के उन टॉप 10 पर्यटन स्थलों के बारे में जहां आप देश के किसी भी कोने से आसानी से पहुंच सकते हैं। 1. वाराणसी बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी को बनारस या काशी के नाम से भी जानते हैं। काशी दुनिया की सबसे प्राचीन जीवंत नगरी के रूप में विख्यात है। पवित्र गंगा नदी के किनारे बसे का

World Peace Pagoda, Vaishali: विश्व को शांति का संदेश देता वैशाली का विश्व शांति स्तूप

वैशाली का विश्व शांति स्तूप आज भी विश्व को शांति का संदेश दे रहा है। लोकतंत्र की जननी वैशाली ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है। यहां जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मस्थली बासोकुंड यानी कुंडलपुर है। अशोक का लाट यानी अशोक स्तंभ, दुनिया का सबसे प्राचीन संसद भवन राजा विशाल का गढ़, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और सबसे प्रमुख जापान की ओर बनवाया गया विश्व शांति स्तूप है।

Birla Temple Delhi: बिरला मंदिर, दिल्ली- जहां जाति-धर्म के नाम पर नहीं होता किसी से कोई भेदभाव

दिल वालों की दिल्ली में एक ऐसा मंदिर है जहां जाति-धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर को देश-दुनिया के लोग बिरला मंदिर के नाम से जानते हैं।

जल मंदिर पावापुरी: भगवान महावीर का निर्वाण स्थल, जहां उन्होंने दिया था पहला और अंतिम उपदेश

जल मंदिर पावापुरी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। भगवान महावीर को इसी स्थल पर मोक्ष यानी निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म के लोगों के लिए यह एक पवित्र शहर है। बिहार के नालंदा जिले में राजगीर के पास पावापुरी में यह जल मंदिर है। यह वही जगह है जहां भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला और आखिरी उपदेश दिया था। भगवान महावीर ने इसी जगह से विश्व को अहिंसा के साथ जिओ और जीने दो का संदेश दिया था।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: जहां प्रतिदिन शयन करने आते हैं भोलेनाथ महादेव

हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है और ओंकारेश्वर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में चौथा है। मध्यप्रदेश में 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर- ममलेश्वर महादेव के रूप में। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग इंदौर से 77 किलोमीटर पर है। मान्यता है कि सूर्योदय से पहले नर्मदा नदी में स्नान कर ऊं के आकार में बने इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां भगवान शिव के दर्शन से सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

ये हैं दिल्ली के टॉप 10 पर्यटक स्थल, नए साल में आप भी घूम आइए

दिल्ली देश की राजधानी है। यहां हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटक आते हैं। दिल्ली में इंडिया गेट, लाल किला, कुतुब मीनार सहित कई पर्यटक स्थल हैं। यहां सालों भर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। अब जब कोरोना संकट के बाद लोग एक बार फिर से बाहर घूमने-फिरने के लिए निकलने लगे हैं तो दिल्ली में एक बार

Contact Us

Work With Me FAM Trips, Blogger Meets या किसी भी तरह के collaboration के लिए guptahitendra [at] gmail.com पर संपर्क करें। Contact me at:- Email – guptagitendra [@] gmail.com Twitter – @GuptaHitendra Instagram – @GuptaHitendra Facebook Page – Hitendra Gupta

संसद भवन- आप भी जा सकते हैं यहां घूमने

देश के लोकतंत्र का मंदिर है देश का संसद भवन। यह दुनियाभर में सबसे आकर्षक संसद भवन है। इस भवन में देश की संसदीय कार्यवाही होती है। देश भर के लोकसभा के लिए चुने गए प्रतिनिधि यहीं पर चर्चा करते हैं और कानून बनाने का काम करते हैं। संसद सत्र के समय लोकसभा और राज्यसभा दोनों सनद के सदस्य कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं।