शेरशाह सूरी का मकबरा
सासाराम में एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है शेरशाह सूरी का मकबरा। यह मकबरा एक बड़े सरोवर के बीचोंबीच लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है। बताया जाता है कि शेरशाह सूरी ने अपने जीते-जी इस मकबरे का निर्माण शुरू कर दिया था, लेकिन इसका निर्माण उसके मृत्यु के तीन महीने बाद पूरा हो पाया। इस मकबरे में कुल मिलाकर 24 कब्रें हैं। शेरशाह सूरी की कब्र मकबरे की ठीक बीच में है।
हिंद-इस्लामी वास्तुकला की खूबसूरती को लिए यह मकबरा देश के सबसे सुंदर स्मारकों में से एक है। यह मकबरा करीब 52 एकड़ में फैले सरोवर के बीच में है। 122 फीट ऊंचे इस मकबरे तक जाने के लिए करीब 350 फीट लंबा एक पुल है। आठ कोणों या भुजाओं वाला यह मकबरा तीन मंजिला है। आठों किनारों पर आठ छोटे गुंबद बनाए गए हैं। बताया जाता है कि शेरशाह सूरी ने ही देश में सबसे पहले रुपये की शुरुआत ही की। शेरशाह ने ही डाक भेजने की व्यवस्था शुरू की थी और उसने ही बंगाल से काबुल तक ग्रैंड ट्रंक रोड (GT Road) का निर्णाम कराया था।
माँ ताराचंडी का मंदिर
कैमूर हिल्स पर सासाराम से करीब 5 किलोमीटर दक्षिण में माँ ताराचंडी का मंदिर है। यह देश के 52 शक्तिपीठों में सबसे पुराना शक्तिपीठ है। हिंदू धर्म के श्रद्धालुओं के बीच यह काफी लोकप्रिय धर्मस्थल है। दुर्गापूजा के अवसर पर यहां विशेष भीड़ रहती है। यहां तंत्र-मंत्र के साधक भी जुटते हैं। शक्ति के उपासकों के लिए यह एक प्रसिद्ध जगह है। बताया जाता है कि माँ ताराचंडी की पूजा करने वाले भक्तों को धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। देशभर के श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं।
कैमूर हिल्स
कैमूर हिल्स वैसे तो एक काफी दर्शनीय पर्यटक स्थल है, लेकिन ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण दुनिया की नजरों से एक तरह से ओझल बना हुआ है। कैमूर हिल्स करीब पांच सौ किलोमीटर लंबी विंध्य की पहाड़ियों पर फैला हुआ है। इसका एक हिस्सा रोहतास-सासाराम में आता है। कैमूर हिल्स से होकर बहने वाली सर्पीली नदियां इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। यहाँ आकर, यहाँ की खूबसूरती, प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर आप असीम शांति का अनुभव करेंगे। यहाँ के जलप्रपातों- झरनों की सुंदरता आपके मन को मोह लेंगे। पक्षियों के कलरव के बीच पहाड़ी से गिरते झरनों की आवाज आपको एख अलग ही रोमांच से भर देंगे। यहाँ कुछ दिन बिताए समय आपको जीवन भर याद रहेंगे।
मांझर कुंड
मांझर कुंड काफी खूबसूरत जगह है। यह सासाराम से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर कैमूर हिल्स पर है। जिन लोगों को मांझर कुंड के बार में पता है वे यहाँ बार-बार आते हैं। आसपास के लोग यहाँ पिकनिक मनाने भी आते है। सुंदर पहाड़ियों के बीच इस मांझर कुंड के पास आकर फिर वापस जाने का मन नहीं करता है। मन करता है कि बस इसे निहारता रहूं और इसकी खूबसूरती को देखता ही रहूं। यहाँ के प्राकृतिक दृश्य आपके मन को मोह लेंगे।
धुआं कुंड
कैमूर हिल्स पर ही हरियाली के बीच धुआं कुंड में ऊंचाई से गिरते पानी की आवाज किसी संगीत की तरह आपके मन को झंकृत कर देंगे। ऊपर से दूध की तरह सफेद पानी के बीच पूरे जलप्रपात का दृश्य काफी सुहावना लगता है। यहां सुबह और शाम में सूरज को उगते और ढलते हुए देखने का अनुभव एक अलग ही रोमांच पैदा करता है। पर्यटकों के लिए यह एक आकर्षण का केंद्र है।
कशिश जल प्रपात
सासाराम के पास ही एक और सुंदर जल प्रपात है कशिश जल प्रपात। यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती देखकर आप दंग रह जाएंगे। हरियाली से घिरे पहाड़ी के बीच झर-झर गिरते पानी की आवाज आपके मन में मधुर संगीत घोल देते हैं।
तुतला भवानी
सासाराम के पास ही एक प्रसिद्ध जल प्रपात है तुतला भवानी। तुतला भवानी जल प्रपात के पास ही है माँ तुतला भवानी मंदिर। यह आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। पर्यटक यहाँ मंदिर में दर्शन के साथ यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती को देखने भी आते हैं। प्रकृति की गोद में बसा यह स्थल बरबस ही आपको अपनी ओर खींच लेता है। यहाँ आने के बाद आपको फिर वापस जाने के मन नहीं करेगा। मन करेगा कि कुछ और देर तक यहाँ रुक जाते हैं।
रोहतास गढ़ का किला
कैमूर हिल्स पर स्थित रोहतासगढ़ किला को देखकर आप इसकी भव्यता और वैभव का अंदाजा लगा सकते हैं। यह किला काफी विशाल और भव्य है। किले के भीतर कई महल भी हैं। बताया जाता है कि इसका निर्माण राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने कराया था। सासाराम आने वाले पर्यटक इस किला को देखने जरूर आते हैं।
शेरगढ़ का किला
सासाराम के पास रोहतास गढ़ किले की तरह ही एक और किला है शेरगढ़ का किला। यह भी कैमूर हिल्स पर है लेकिन यह रोहतास गढ़ किले से काफी अलग है। इस किले को बनाते समय सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया था, जिससे कि इधर आने वाले कोई भी व्यक्ति नजर में जरूर आ जाए। रोहतास गढ़ किले के साथ आप यहाँ भी जा सकते हैं। यहां से पहाड़ी का दृश्य काफी मनोरम दिखता है।
पायलट बाबा का मंदिर
सासाराम में एक प्रसिद्ध जगह है पायलट बाबा का मंदिर और आश्रम। इस मंदिर में सभी धर्म को समभाव आदर दिया गया है। पायलट बाबा सासाराम के ही थे इसलिए देश के अन्य जगहों की तरह यहाँ आश्रम बनाने के साथ भव्य मंदिर का भी निर्माण कराए हैं। यहाँ 80 फीट से अधिक ऊँची भगवान बुद्ध की मूर्ति का निर्माण कराया गया है। इसके साथ ही यहाँ भगवान शिव की विशाल प्रतिमा की भी निर्माण कराया गया है। यह हिंदू और बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं के लिए तीर्थाटन का प्रमुख स्थल बन गया है। इतना ही नहीं पायलट बाबा के इस मंदिर में सिख धर्म के गुरुओं की प्रतिमा का भी निर्माण कराया गया है।
इन्द्रपुरी डैम
कैमूर हिल्स के पास सोन नदी पर बना इन्द्रपुरी डैम भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक प्रमुख स्थल है। इन्द्रपुरी डैम दुनिया का चौथा सबसे लंबा बैराज बांध है। यहां से कलकल बहती नदी की शोर के बीच प्राकृतिक हरियाली को देखना एक अलग ही आनंद प्रदान करता है।
सभी फोटो- बिहार टूरिज्म |
कैसे पहुंचें
रेल मार्ग- सासाराम पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुगलसराय) और गया जंक्शन रेलखंड पर एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। दिल्ली-कोलकाता के बीच चलने वाली ज्यादातर ट्रेन सासाराम होते हुए जाती है।
सड़क मार्ग- सासाराम नेशनल हाइवे 2 (जीटी रोड) पर स्थित है। वाराणसी, दिल्ली, कोलकाता और पटना आसानी से आप आसानी से सासाराम पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग- सासाराम का नजदीकी हवाई अड्डा गया और वाराणसी है। गया करीब 100 किलोमीटर, वाराणसी 120 किलोमीटर और पटना करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर है।
कब पहुंचे-
सितंबर से अप्रैल के महीने तक यहां का मौसाम काफी अच्छा रहता है। अगर आप बारिश को एंज्वाय करते हैं मानसून सीजन में भी यहां आ सकते हैं।
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-हितेन्द्र गुप्ता
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