नीब करौरी बाबा...नाम सुनते ही शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। मन में असीम शांति का अनुभव होने लगता है। हर दुख-दर्द दूर होता दिखने लगता है। हालांकि बाबा अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन कहीं से ये नहीं लगता कि वे पास नहीं हैं। हर पल-हर क्षण बाबा नीब करौरी आंखों के सामने नजर आने लगते हैं। बाबा जब दिल-दिमाग और जेहन में उतर जाए, तो फिर आपको भी इसी तरह का आभास होगा। ऐसा ही अनुभव और एहसास होगा। आप हर घड़ी बाबा को अपने साथ महसूस करेंगे और जब बाबा साथ हो तो चिंता किस बात की।
भक्त नीब करौरी बाबा को नीम करोली बाबा के नाम से भी पुकारते हैं। नीब करौरी बाबा को हनुमान भगवान का अवतार माना जाता है। लोगों का मानना है कि नीब करौरी बाबा बजरंगबली के साक्षात अवतार हैं। बाबा काफी सीधा-सादा और सरल जीवन जीते थे। बाबा का जन्म सन 1900 के करीब उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। बाबा के बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था और बताया जाता है कि उन्हें 17 साल की उम्र में ही ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी।
फोटो शरद त्रिपाठी |
लोगों का कहना है कि बाबा सन 1958 में घर छोड़कर देश भ्रमण पर चले गए थे। इसी क्रम में बाबा गुजरात के ववानिया मोरबी मे एक तालाब में साधना करने लगे। इसके बाद लोग उन्हें तलैया वाले बाबा कहकर बुलाने लगे। इसके बाद बाबा कई जगहों पर रहे। इस दौरान उन्हें बाबा लक्ष्णण दास, तिकोनिया बाबा जैसे नामों से भी संबोधित किया गया। सबसे आखिर में बाबा उस समय के उत्तर प्रदेश और वर्तमान में उत्तराखंड के नीब करौरी में एक आश्रम की स्थापना की। तब से वे नीब करौरी या नीम करोली बाबा के नाम से जाना जाने लगे। कैंची धाम के अलावा बाबा में वृंदावन में भी एक आश्रम की स्थापना की थी और बाबा ने वृंदावन में ही 11 सितंबर, 1973 को अपना देह त्याग दिया था।
नीब करौरी में बाबा के आश्रम को कैंची धाम के नाम से जाना जाता है। यह नाम दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। कैंची धाम आश्रम नैनीताल से करीब 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बताया जाता है कि यहां के सड़कों का आकार कैंची जैसा होने के कारण इसका नाम कैंची धाम रख दिया गया। नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर यह बेहद खूबसूरत जगह है। यहां के मंत्र-मुग्ध कर देने वाले वातावरण में आकर आप खुद को खो देंगे।
नीब करौरी बाबा यहां 1961 में आए थे और 1964 में उन्होंने अपने एक मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर 15 जून को इस आश्रम की स्थापना की थी। तब से यह आश्रम कैंची धाम के नाम से विश्व विख्यात है। स्थापना दिवस पर यहां हर साल 15 जून पर एक मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले के समय यहां भारी भीड़ जुटती है। आश्रम के पास ही एक गुफा भी है। बताया जाता है कि बाबा इस गुफा में तप, ध्यान और साधना में लीन रहते थे। श्रद्धालुओं के लिए यह गुफा भी एक पवित्र स्थल है। हनुमान जी का अवतार होने के कारण यहां हनुमान जी का एक मंदिर है। बाबा के परलोकवासी होने के बाद यहां उनका भी एक मंदिर बनाया गया है। इस मन्दिर में बाबा नीम करौली की एक भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है।
फोटो शरद त्रिपाठी |
कैंची धाम आश्रम के बारे में मान्यता है कि यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती हैं। लोगों का कहना है कि यहां से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता। कैंची धाम आश्रम में लोगों को यह कभी नहीं लगता कि बाबा यहां नहीं हैं। इसी अनुभव को प्राप्त करने के लिए दुनिया भर से हर साल लाखों लोग यहां आते हैं। बाबा में भक्तों में सबसे फेमस नाम एप्पल के स्टीव जॉब्स और फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग का है। बताया जाता है कि हॉलीवुड की अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स सिर्फ बाबा का फोटो देखकर ही इतना प्रभावित हो गईं कि वो हिंदू बन गईं।
बाबा के भक्तों के बीच उनके चमत्कार के कई किस्से प्रचलित हैं। एक के बारे में कहा जाता है कि एक बार भंडारे के समय घी की कमी पड़ गई। जब इस बारे में बाबा को बताया गया तो उन्होंने कहा कि नीचे नदी से कनस्तर में पानी लाकर डाल दो। शुरू में तो जिससे कहा था वो हिचका, लेकिन जब घी की जगह पानी डाला गया तो वह पानी घी में बदल गया। दूसरी कहानी ये है कि एक बार बाबा को कहीं जाना थो तो ड्राइवर से गाड़ी लाने को कहा। ड्राइवर ने तेल ना होने की बात कही तो बाबा ने कहा कि चलो देखा जाएगा। गाड़ी रास्ते में रुक गई तो बाबा में ड्राइवर से पूछा रोक क्यों दिए। इसपर ड्राइवर ने कहा कि तेल खत्म हो गई है। बाबा ने कहा कि पानी लाकर डाल दो। ना-नुकर करने के बाद आखिर में पानी लाकर डालने के बाद जब ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की तो वो चल पड़ी।
इसी तरह की एक कथा है कि बाबा एक बार रेल से फर्स्ट क्लास कोच में सफर कर रहे थे। टिकट चेकर ने टिकट ना होने पर उन्हें अगले स्टेशन पर गाड़ी रुकने के साथ ही उतार दिया। उतारने पर बाबा वहीं स्टेशन पर बैठ गए। इसके बाद जब ट्रेन को चलाने की कोशिश की गई तो वह वहां से एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी। हर तरह से कोशिश कर ली गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अंत में एक व्यक्ति की नजर बाबा पर पड़ी तो उसने टिकट चेकर सहित अधिकारियों से बाबा से माफी मांगने को कहा। माफी मांगने के बाद ही वो ट्रेन आगे बढ़ सकी।
कैसे पहुंचें:
कैंची धाम नैनीताल से 17 किलोमीटर और भवाली से 9 किलोमीटर की दूरी पर है। सड़क के रास्ते यहां बस या टैक्सी से पहुंच सकते हैं।
वायु मार्ग से
नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट है जो यहां से करीब 79 किलोमीटर की दूरी पर है।
ट्रेन से
नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। यह कैंची धाम से करीब 43 किलोमीटर दूर है।
कब पहुंचे-
कैंची धाम उत्तराखंड में पहाड़ी इलाके में नैनीताल के पास है। यहां सर्दी काफी पड़ती है। इसलिए दिसंबर-जनवरी के मौसम में यहां आने से बचना चाहिए। लेकिन सर्दी को एंज्वाय करते है तो किसी भी मौसम में आ सकते हैं।
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