अयोध्या के पास भगवान राम से जुड़ा एक प्रमुख धार्मिक स्थल है नंदीग्राम। नंदीग्राम भी अयोध्या की तरह ही एक पवित्र तीर्थ स्थल है, लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। रामायण के हिसाब से नंदीग्राम का काफी महत्व है। फिर भी यहां नहीं के बराबर श्रद्धालु आते हैं। इस जगह के विकास पर अब तक कोई विशेष ध्यान दिया गया, लेकिन अब राम मंदिर निर्माण के साथ ही यहां के विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
अयोध्या से काफी करीब होने के बाद भी यह अब तक पर्यटकों और भक्तों से दूर बना रहा। जबकि धार्मिक महत्व के कारण यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी चाहिए थी। अब जब भारतीय रेल ने 17 फरवरी, 2023 से 'श्रीराम-जानकी यात्रा: अयोध्या से जनकपुर' तक भारत गौरव डीलक्स एसी टूरिस्ट ट्रेन चलाने का फैसला किया है। नंदीग्राम के बारे में जानने की लोगों ने जिज्ञासा बढ़ी है। यह ट्रेन ट्रेन अयोध्या, नंदीग्राम, सीतामढ़ी, काशी, प्रयागराज और जनकपुर में रुकेगी।
नंदीग्राम श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या से सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी पर है। हिंदू धर्म में नंदीग्राम का अपना अलग धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। बताया जाता है कि भगवान राम जब 14 साल के लिए वन गए थे, तो उनके छोटे भाई भरत ने भी उतने ही समय तक यहां एक तरह से वनवास में ही जीवन व्यतीत किया था। रामायण के अनुसार, भगवान राम जब अपनी पत्नी सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वन की ओर रवाना हुए तो भरत भी उनके साथ वन जाने के लिए चल दिए। श्रीराम ने उन्हें काफी समझा-बुझाकर नंदीग्राम में ही रोक दिया।
फोटो-सोशल मीडिया |
बड़े भाई राम के समझाने पर भरत जी रुक तो गए, लेकिन वे वापस अयोध्या नहीं गए। उन्होंने श्रीराम जी से खड़ाऊं लेकर उनके प्रतीक के तौर पर नंदीग्राम से ही राजपाट चलाने लगे। भरत खुद को एक राजा नहीं, बल्कि श्रीराम को ही राजा मान उनके प्रतिनिधि के तौर पर अयोध्या का राजकाज चलाते रहे। एक तरह से इतने दिनों तक नंदीग्राम ही राजधानी बनी रही।
जब तक श्रीराम नहीं आए भरत भी सारे राजसी सुख त्याग कर 14 साल तक वहां तपस्या करते रहे। एक तरह से कह सकते है कि भरत भी 14 साल तक वनवास भोगते रहे। श्रीराम के वन गमन करने के साथ ही उनके पिता राजा दशरथ ने वियोग में अपने प्राण त्याग दिए थे। जिसके बाद भरत जी ने नंदीग्राम में एक कुंड का निर्माण कराया था। बताया जाता है कि भरत ने यहीं उनका श्राद्ध किया था। यह कुंड तबसे भरत कुंड के नाम से विख्यात है। इस कुंड के जल को काफी पवित्र माना जाता है।
भरतकुंड के किनारे ही एक वेदी है। बताया जाता है कि बिहार के गया में पिंडदान से पहले यहां भरतकुंड में डुबकी लगाकर पिंडदान करने की मान्यता है। पिंडदान के कारण हिंदू धर्म में नंदीग्राम का विशेष महत्व है। लोग यहां अपने पितरों का श्राद्ध कराने भी आते हैं। भरतकुंड के पास ही एक शिव मंदिर का निर्माण कराया गया है। यहां भी लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। आमतौर पर शिव मंदिर में नंदी भगवान शिव की तरफ मुंह किए रहते हैं, लेकिन यहां उनका मुंह दूसरी तरफ है।
लोगों का कहना है कि भगवान राम ने वन से आने के बाद भरत जी से यहीं पर मुलाकात की थी और उन्हें साथ लेकर अयोध्या गए थे। रामायण में भरत मिलाप का प्रसंग अहम है। हनुमान जी की भी भरत जी से पहली मुलाकात यहीं पर हुई थी, तब भरत जी ने हनुमान जी को गले लगा लिया था। इन सब धार्मिक कारणों से नंदीग्राम का एक अलग ही महत्व है।
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भगवान राम के 14 साल वनवास में रहने के कारण यहां के श्रीराम जानकी मंदिर में 24 अक्टूबर, 2018 से 14 साल के लिए श्री सीताराम नाम का अखंड कीर्तन चल रहा है। 24 घंटे चलने वाला यह अखंड कीर्तन 14 साल पूरा हो जाने पर 15 अक्टूबर, 2032 को खत्म होगा। यह कीर्तन अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण से भी जुड़ा हुआ है।
अब नंदीग्राम को पर्यटन के मानचित्र पर लाने से उम्मीद है कि जैसे-जैसे लोगों को इस स्थल के बारे में पता चलेगा वे यहां आना शुरू करेंगे। नंदीग्राम बेहद खूबसूरत और शांत जगह है। अयोध्या की चहल-पहल से दूर जन्मभूमि से पास का यह स्थल आपके मन को असीम शांति प्रदान करेगा।
कैसे पहुंचे-
अयोध्या देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। आप देश के किसी भी हिस्से ये यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। यह रेल और सड़क मार्ग से काफी बढ़िया तरीके से जुड़ा हुआ है। हवाई मार्ग भी जल्दी ही शुरू होने वाला है। फिलहाल आप हवाई मार्ग से लखनऊ पहुंच वहां से सड़क या रेल मार्ग से यहां आ सकते हैं।
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-हितेन्द्र गुप्ता
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