क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे देश के वे पहाड़, गुफाएं या समुद्री चट्टानें जिन्हें हम घूमते-देखते आ रहे हैं, वे भी एक दिन विश्व धरोहर (World Heritage) का हिस्सा बन सकते हैं? तो अब, खुश हो जाइए! भारत के 7 अद्भुत प्राकृतिक स्थलों को UNESCO की विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल कर लिया गया है। इससे भारत की धरोहर स्थलों की संभावित सूची की संख्या अब 62 से बढ़कर 69 हो गई है।
यह ना सिर्फ देश के लिए एक गर्व का मौका है, बल्कि हमारी धरती की अनमोल भूगोलिक और पारिस्थितिक विविधताओं को पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
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तिरुमाला की पहाड़ी |
कौन-कौन से हैं ये 7 नए स्थल?
1. डेक्कन ट्रैप – पंचगनी और महाबलेश्वर (महाराष्ट्र)
लावा प्रवाहों की बेहतरीन झलक चाहिए? तो यहां आइए! ये क्षेत्र कोयना वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के भीतर आता है और करोड़ों साल पुराने ज्वालामुखीय इतिहास की कहानियां बयां करता है।
2. सेंट मैरी द्वीप समूह (कर्नाटक)
यहां की स्तंभाकार चट्टानें देखकर लगता है जैसे किसी कलाकार ने धरती पर मूर्तिकला बना दी हो। ये 85 मिलियन साल पुरानी हैं यानी डायनासोर के जमाने की!
3. मेघालय की गुफाएं – माव्लुह गुफा विशेष
मेघालय युग का नाम ही इन गुफाओं के नाम पर पड़ा है। सोचिए! इन गुफाओं में धरती के जलवायु परिवर्तन और भूवैज्ञानिक घटनाओं के पक्के सबूत छिपे हैं।
4. नागा हिल ओफियोलाइट (नागालैंड)
यहां पाई जाती हैं वो चट्टानें जो आमतौर पर महासागरों में होती हैं! ये चट्टानें प्लेट टेक्टोनिक्स को समझने की कुंजी मानी जाती हैं।
5. एर्रा मट्टी डिब्बालु – विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश)
लाल रेत की पहाड़ियां जो पुराने जलवायु युगों की दास्तां कहती हैं। इनकी बनावट और रंगत देखने लायक है।
6. तिरुमला की पहाड़ियां (आंध्र प्रदेश)
1.5 अरब साल से भी पुराने चट्टानी रिकॉर्ड! यहां का सिलाथोरनम (प्राकृतिक मेहराब) बेहद अनोखा है।
7. वर्कला चट्टानें (केरल)
समंदर किनारे की इन चट्टानों में मायो-प्लियोसीन युग की परतें साफ दिखाई देती हैं। भूगोल के छात्रों और पर्यटकों दोनों के लिए यह किसी खजाने से कम नहीं।
भारत की वैश्विक धरोहर में बढ़ती हिस्सेदारी
UNESCO की विश्व धरोहर सूची में आने से पहले किसी भी स्थल को संभावित सूची में शामिल होना पड़ता है। अब ये 7 स्थल भी उस लिस्ट में हैं, यानी पहला पड़ाव पार हो गया। इस पूरी प्रक्रिया में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मुख्य भूमिका निभाई। UNESCO में भारत के प्रतिनिधि ने भी इस कार्य की सराहना की है।
भारत ने जुलाई 2024 में नई दिल्ली में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र की मेजबानी भी की थी। उस समय 140 से ज्यादा देशों के 2000 से अधिक विशेषज्ञ भारत आए थे, जो हमारी वैश्विक भूमिका को और मजबूत करता है।
अब इन स्थलों का डिटेल्ड मूल्यांकन होगा। अगर ये सभी मानदंडों पर खरे उतरते हैं, तो आने वाले सालों में इन्हें आधिकारिक रूप से UNESCO World Heritage Site का दर्जा मिल सकता है।
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